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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही. इन लोगों पर केस दर्ज करने के साथ-साथ योगी सरकार ने सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी वसूलने का फैसला लिया. खुद सीएम योगी ने प्रदर्शनकारियों से बदला लेने की बात तक कह डाली. सीएम के आदेश का पालन भी तेजी से हुआ और जमकर वसूली के नोटिस जारी किए जाने लगे. लेकिन वसूली की इस रफ्तार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ब्रेक लगा दिया.
प्रदर्शनकारियों से नुकसान की वसूली को लेकर योगी सरकार ने किसी को हजारों के तो किसी को लाखों रुपये के नोटिस जारी किए थे. लोगों को हिदायत दी गई थी कि वो हिंसा में शामिल थे तो उन्हें सरकार को पैसा देना ही होगा. लेकिन हाईकोर्ट ने इस वसूली कार्यक्रम पर रोक लगा दी.
एक ऐसी ही याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई है. जिसमें मुजफ्फरनगर एडीएम की तरफ से 53 लोगों को जारी 23.41 लाख के नोटिस को चुनौती दी गई है. ये सभी लोग एंटी सीएए प्रदर्शन में शामिल थे.
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए कानून बनाया गया है. जिसके तहत पांच साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है. इसमें लिखा गया है -
योगी सरकार पर नागरिकता कानून के खिलाफ हुई हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों पर भारी जुर्माने और बिना सफाई का मौका दिए कार्रवाई के आरोप भी लग रहे हैं. कई लोग ऐसे हैं जिनका दावा है कि वो हिंसा में शामिल नहीं थे. योगी सरकार ने हिंसा के बाद सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया. वहीं हजारों लोगों पर ऐहतिहातन कार्रवाई की गई.
खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने हिंसा में शामिल लोगों की प्रॉपर्टी जब्त करने और बदला लेने की बात कही थी. उन्होंने यूपी में हुई हिंसा के ठीक बाद कहा,
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ लोगों से वसूली को अपनी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर मानते हैं. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि दिल्ली चुनाव के दौरान रैलियों में योगी आदित्यनाथ ने ये बात बार-बार कही. उन्होंने बताया कि यूपी में हिंसा करने वालों पर कैसे कार्रवाई होती है.
हाल ही में मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी को भी एक ऐसा ही वसूली का नोटिस जारी किया गया. योगी सरकार ने उन्हें 1.04 करोड़ रुपये जुर्माने का नोटिस जारी किया. उन पर नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ मुरादाबाद में प्रदर्शन करने के बाद ये नोटिस जारी किया गया. नोटिस में इसका कारण भी बताया गया, जिसमें कहा गया, "धारा-144 लागू होने बाद भी मुरादाबाद ईदगाह पर समुदाय विशेष के लोगों को बुलाकर उनको भड़काया जा रहा है. इस वजह से पुलिस प्रशासन को अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती करनी पड़ रही है. इसमें 13.42 लाख रुपये प्रति दिन पैसा खर्च हो रहा है."
लेकिन अब योगी की इस ‘वसूली ड्राइव’ पर कोर्ट ने ब्रेक लगा दिया है और सुप्रीम कोर्ट में भी मामला चल रहा है तो ये कहीं न कहीं उन लोगों के लिए राहत है, जो लाखों रुपये के नोटिस के चलते परेशान थे. अब बदला लेने की कार्रवाई के तहत नहीं बल्कि कानूनी तौर पर उनका फैसला होगा.
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