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उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि राज्यों को उन जिलों में दो विशेष अदालतें गठित करनी होंगी, जहां ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण’ (पॉक्सो) कानून के तहत लंबित मामलों की संख्या 300 से अधिक हैं।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने स्पष्ट किया कि पॉक्सो कानून के तहत 100 से अधिक प्राथमिकियों वाले प्रत्येक जिले में एक अदालत गठित करने का उच्चतम न्यायालय के पहले के एक निर्देश का यह मतलब है कि वहां कानून के तहत केवल ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक विशेष अदालत होनी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने स्पष्ट किया है कि पॉक्सो के मामलों का विशेष पॉक्सो अदालतों को निपटारा करना चाहिए, जो अन्य मामलों पर सुनवाई नहीं करेगी। जहां 100 से अधिक मामले हैं वहां एक विशेष पॉक्सो अदालत होगी। अगर 300 या उससे अधिक मामले हैं तो उस जिले में दो विशेष पोक्सो अदालतें होंगी।’’
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