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आम आदमी पार्टी विधायकों से जुड़े लाभ के पद मामले की तस्वीर अब साफ होने लगी है. पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के चुनाव आयोग के फैसले पर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी है. अब साफ हो गया है कि इन 20 सीटों पर दोबारा चुनाव करवाए जाएंगे.
चुनाव आयोग ने विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को राष्ट्रपति के पास फारवर्ड किया था. इस तरह इन विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद अब विधानसभा में पार्टी के 46 विधायक बचे हैं. हालांकि इन विधायकों की सदस्यता रद्द होने से पार्टी की सरकार पर कोई खतरा नहीं आया है.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा, “ऊपर वाले ने 67 सीट कुछ सोच कर ही दी थी. हर कदम पर ऊपर वाला आम आदमी पार्टी के साथ है, नहीं तो हमारी औकात ही क्या थी. बस सच्चाई का मार्ग मत छोड़ना.’
आरोप है कि AAP ने अपने 21 विधायकों को पार्लियामेंटरी सेक्रेटरी बनाया. आरोप है कि पार्लियामेंटरी सेक्रेटरी बनाना नियम के खिलाफ था.
इन पदों में सैलरी नहीं मिलती है लेकिन सरकारी गाड़ी जैसी सुविधाएं मिलती हैं. किसी चुने हुए प्रतिनिधि का 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' पर काम करना नियमों के खिलाफ है. मामले में कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. लेकिन वहां से भी आम आदमी पार्टी को इंटरिम राहत नहीं दी गई.
प्रवीण कुमार, शरद कुमार, आदर्श शास्त्री, मदन लाल, चरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, जरनैल सिंह, राजेश गुप्ता, अलका लांबा, नितिन त्यागी, संजीव झा, कैलाश गहलोत, विजेंद्र गर्ग, राजेश ऋषि, अनिल कुमार वाजपेयी, सोमदत्त, सुलबीर सिंह डाला, मनोज कुमार, अवतार सिंह
इन विधायकों में से जरनैल सिंह पहले ही अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. उन्होंने पंजाब चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए इस्तीफा दिया था. जरनैल सिंह राजौरी गार्डन से विधायक थे.
लाभ के पद के मामले में विधायकों की सदस्यता रद्द करने का यह पहला मामला नहीं है. 2006 में यूपीए-1 सरकार में लाभ के पद के मामले में सोनिया गांधी को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर रायबरेली से चुनाव लड़ना पड़ा था. दरअसल राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का चेयरमैन बनने से सोनिया गांधी लाभ के पद के दायरे में आ गई थीं.
इसके अलावा 2006 में राज्यसभा सांसद रही जया बच्चन की भी सदस्यता लाभ के पद के मामले में जा चुकी है. जया बच्चन सांसद होने के साथ ही यूपी फिल्म विकास निगम की अध्यक्ष भी थीं. जया बच्चन ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाभ के पद पर रहने वालों की सदस्यता जाएगी ही चाहे वे वेतन या भत्ते ले या नहीं.
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