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देश की आर्थिक स्थिति को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के दावे पर बुधवार को मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने कटाक्ष किया।
सुशील मोदी ने कहा है कि देश में आर्थिक मंदी नहीं है, बल्कि कर कम किए जाने के लिए बड़ी कंपनियां सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रही है।
उपमुख्यमंत्री ने पारले जी बिस्कुट कंपनी का उदाहरण देते हुए कहा कि वास्तव में बिहार में इस बिस्कुट की मांग "बढ़ी" है ।
पड़ोसी राज्य झारखंड की राजधानी रांची में एक समाचार चैनल के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के दौरान सुशील ने कहा कि कोई (आर्थिक) मंदी नहीं है। मीडिया में ऑटोमोबाइल और अन्य क्षेत्रों के बारे में जो रिपोर्ट देखने को मिलती है, वास्तव में यह आद्योगिक घराना लॉबी द्वारा कर की दरों को कम करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की एक चाल है।
उन्होंने कहा, “पारले जी का उदाहरण लें। बिहार में इसकी मांग वास्तव में बढ़ी है। ऐसे में आश्चर्य होता है कि मांग में गिरावट कैसे आई। केरल और तमिलनाडु जैसे विकसित राज्यों में इन बिस्कुटों के स्थान पर पेस्ट्री खाना शुरू कर दिये जाने से क्या ऐसा हो सकता है?’’
सुशील मोदी को अपनी टिप्पणियों के लिए ट्विटर पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा ।
राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने उनपर कटाक्ष करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, " देर से, सुशील कुमार मोदी ने फ्रांसीसी सम्राट की तरह आवाज उठानी शुरू कर दी है कि अगर लोगों के पास रोटी नहीं है, तो उन्हें केक खाना चाहिए।"
तिवारी ने आरोप लगाया कि उन्होंने ऑटोमोबाइल में गिरावट के लिए हाल में कहा था कि पितृपक्ष के दौरान लोग वाहन खरीदना पसंद नहीं करते।
तिवारी ने कहा कि इससे पहले उन्होंने दावा किया था कि सावन के दौरान आर्थिक मंदी देखने को मिलती है, जो कि बाद में खुद ठीक हो जाती है। इस तरह के उनके बयान, उनकी अज्ञानता को प्रदर्शित करता है।
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