Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019रघुराम राजन ने लॉकडाउन हटाने और गरीबों की मदद करने की पैरवी की

रघुराम राजन ने लॉकडाउन हटाने और गरीबों की मदद करने की पैरवी की

राजन ने सावधानी के साथ लॉकडाउन हटाने, गरीबों को मदद देने की पैरवी की

भाषा
न्यूज
Published:
रघुराम राजन, पूर्व आरबीआई गवर्नर
i
रघुराम राजन, पूर्व आरबीआई गवर्नर
(फोटो: ब्लूमबर्ग) 

advertisement

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) जाने-माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बृहस्पतिवार को कहा कि लॉकडाउन (बंद) हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और अब आर्थिक गतिविधियों को सावधानीपूर्वक खोला जाना चाहिए ताकि लोग फिर से अपने काम-धंधे पर लौट सकें।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद में राजन ने कहा कि कोरोना संकट के कारण मुश्किल का सामना कर रहे गरीबों के खाते में सीधे वित्तीय मदद दी जानी चाहिये, इसमें कुल 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।

आर्थिक गतिविधियां शुरू करने की पैरवी करते हुए राजन ने यह भी कहा कि हमारे पास करोड़ों की संख्या में लोगों की लंबे समय तक मदद करने की क्षमता नहीं है। इस संवाद के दौरान गांधी और राजन देनों ने देश में सामाजिक सौहार्द को बरकरार रखने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि कोरोना महामारी जैसे बड़े संकट के समय भारतीय समाज विभाजन और नफरत का जोखिम मोल नहीं ले सकता।

दोनों ने दुनिया के कई हिस्सों में अधिनायकवादी मॉडल एवं व्यक्ति केन्द्रित रुझान को लेकर भी चिंता जताई। लॉकडाउन के बाद की स्थिति से निपटने के संदर्भ में राजन ने कहा कि भारत तुलनात्मक रूप से एक गरीब देश है और इसके संसाधन सीमित हैं। इसलिए हम ज्यादा लंबे समय तक लोगों को बिठाकर खिला नहीं सकते। कोविड-19 से निपटने के लिए भारत जो भी कदम उठाएगा, उसके लिए बजट की एक सीमा है।

हालांकि, गांधी ने राजन से जब किसानों और प्रवासी श्रमिकों की समस्या पर सवाल किया तो राजन ने कहा कि यही वह क्षेत्र हैं जहां हमें अपनी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना का फायदा उठाना चाहिए। हमें संकट में पड़े किसानों और मजदूरों की मदद के लिए इस प्रणाली का उपयोग करना चाहिए।

इस पर आने वाले खर्च के संबंध में गांधी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान देश में गरीबों की मदद के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। हम उसका प्रबंध कर सकते क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था 200 लाख करोड़ रुपये की है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि गरीबों की जान बचाने के लिए हमें इतना खर्च करने की जरूरत है तो हमें करना चाहिए।’’

लॉकडाउन से जुड़े सवाल पर राजन ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के दूसरे चरण को ही लीजिए तो आप अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के प्रयास में पूरी तरह से सफल नहीं हुए हैं। हमें चीजों को खोलना होगा और स्थिति का प्रबंधन करना होगा। अगर कोराना संक्रमण का कोई मामला आता है तो उसे हम पृथक करें।’’

उन्होंने कहा कि भारत में मध्य वर्ग और निम्न मध्य वर्ग के लिए अच्छे रोजगार के अवसर सृजित करना बहुत जरूरी है। यह काम अर्थव्यवस्था में ‘‘ बहुत बड़े पैमाने पर विस्तार के साथ ही किया जा सकता है।’’ पर उन्होंने साथ में यह भी जोड़ा कि कि ‘‘पिछले कुछ सालों से भारत की आर्थिक वृद्धि दर उत्तरोत्तर गिर रही है।’’

राजन ने कहा कि रोजगार के अच्छे अवसर निजी क्षेत्र में होने चाहिए, ताकि लोग सरकारी नौकरियों के मोह में ना बैठें। इसी संदर्भ में उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग उद्योग का जिक्र किया करते हुये कहा कि किसी ने सोचा नहीं था कि यह इस तरह एक मजबूत उद्योग बनेगा। उन्होंने कहा कि ‘‘यह आउटसोर्सिंग क्षेत्र इस लिए पनप और बढ़ सका क्योंकि उसमें सरकार का दखल नहीं था।’’

गांधी ने राजन से एक सवाल किया था कि कोविड-19 भारत के लिए कुछ अवसर भी उपलब्ध कराता है। इसके जवाब में राजन ने कहा कि इतना बड़ा संकट किसी के लिए अच्छा नहीं हो सकता लेकिन कुछ तरीके सोचे जा सकते हैं। हमारा प्रयास नयी परिस्थितियों के साथ वैश्विक चर्चा को इस तरफ मोड़ने पर होना चाहिए जिसमें ज्यादा से ज्यादा देशों के फायदे की बात हो।

उन्होंने गांधी के इस बात को स्वीकार किया कि निर्णय लेने की शक्तियों का केंद्रीकरण उचित नहीं है। विकेंद्रीकृत और सहभागिता से किया गया निर्णय बेहतर होता है।

कांग्रेस नेता के एक प्रश्न के उत्तर में राजन ने कहा, ‘‘इन हालात में भारत अपने उद्योगों एवं आपूर्ति श्रृंखला के लिए अवसर हासिल कर सकता है। परंतु हमें इस बहुध्रवीय वैश्विक व्यवस्था में संवाद का प्रयास करना होगा।’’

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद भारत के संदर्भ में अब तक जो आंकड़े आए हैं वो चिंताजनक हैं।

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘अगर आप सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) के आंकड़े को देखें तो कोविड-19 के कारण 10 करोड़ और लोगों से रोजगार छिन गया है। हमें अर्थव्यवस्था को इस तरह से खोलना होगा कि लोग फिर से काम पर लौट सकें।’’भाषा हक शरद मनोहर

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT