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सूत्रों का अनुसार सचिन पायलट गुरुवार देर रात दिल्ली पहुंचे हैं और शुक्रवार सुबह करीब 12 बजे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात हो सकती है।
हालांकि सचिन पायलट के दिल्ली पहुंचने से कुछ घण्टे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात कर के जयपुर रवाना हुए थे।
गहलोत ने गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। करीब आधे घण्टे चली बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में कहा कि सोनिया गांधी के साथ अच्छे माहौल में बातचीत हुई है। राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर सारी बात हाईकमान के समक्ष रख दी है। हाईकमान जो फैसला लेगा मंजूर होगा।
उन्होंने कहा, मैंने राजस्थान के विषय पर सारी स्थिति सोनिया गांधी और कल हुई बैठक में रख दी है। अब आगे का निर्णय आलाकमान पर छोड़ा है।
वहीं दो दिन दिल्ली दौरे पर रहे सीएम ने सोनिया गांधी से मुलाकात से पहले बुधवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की थी। इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी विणुगोपाल और राजस्थान प्रभारी अजय माकन भी शामिल हुए। जिसके बाद सीएम ने अलग से प्रियंका गांधी से भी चर्चा की।
गौरतलब है कि गहलोत की इन बैठकों के पहले भी सचिन पायलट ने दिल्ली पहुंचकर, कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी विणुगोपाल से बुधवार सुबह 10 बजे मुलाकात की थी।
सचिन और गहलोत के दिल्ली दौरे और शीर्ष नेताओं से मुलाकात के साथ ही राजस्थान में लंबे समय से प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर अटकलें शुरू हो गई हैं। उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्द ही राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर फैसला हो जायेगा।
सूत्रों के अनुसार आठ से बारह नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी और तीन पुराने चेहरों को हटाया जा सकता है। इसमें पायलट खेमे के 4 चेहरे मन्त्रिमण्डल में शामिल होंगे।
दरअसल गहलोत सरकार में अभी 9 जगह खाली है। प्रदेश में कुल 30 मंत्री बन सकते हैं। अभी मुख्यमंत्री सहित 21 हैं, कम से कम 9 मंत्री और बन सकते हैं। एक व्यक्ति एक पद को आधार बनाया गया तो 3 जगह और खाली हो सकती हैं। गहलोत मंत्रिमंडल का सरकार बनने के बाद अभी एक बार भी विस्तार नहीं हुआ है।
सूत्रों के अनुसार गहलोत के नए फॉर्मूले में मंत्री बनने से वंचित रहने वाले विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियां देकर संतुष्ट करने का फार्मूला अपनाया जाएगा।
17 दिसंबर को गहलोत सरकार को तीन साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। इन तीन साल में विस्तार या फेरबदल नहीं होने के पीछे पार्टी की खींचतान को सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
--आईएएनएस
पीटीके/एएनएम
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