advertisement
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज वीरेंद्र सिंह की यूपी के लोकायुक्त पद पर नियुक्ति कर दी. ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किसी राज्य के लोकायुक्त की नियुक्ति की गई हो. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी भी जताई है.
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रामना की बेंच ने आदेश मेें कहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष हाई कोर्ट के फैसले का पालन नहीं कर सके.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ही राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति में देरी पर यूपी सरकार को फटकार लगाई थी. राज्य सरकार को 16 दिसंबर तक लोकायुक्त की नियुक्ति करने को कहा गया था. लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला एक साल से राज्य सरकार के पास लटका हुआ था.
बुधवार को कोर्ट ने कहा कि वो यूपी सरकार के वकील कपिल सिब्बल की इन दलीलों से सहमत नहीं है कि राज्य सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए गंभीर कदम उठाए थे.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा था कि मुख्यमंत्री अखिलेेश और विपक्ष के नेता के बीच तीन नामों पर सहमति बनी थी जबिक इलाहाबाद हाई- कोर्ट के प्रधान न्यायधीश ने इसपर अपनी राय नहीं दी.
और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)