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स्कॉर्पीन सबमरीन के डेटा लीक से सबसे बड़ा खतरा:
ये पनडुब्बी दुनिया की सबसे एडवांस तकनीक से बनी है. ये पानी के अंदर इतनी शांति से चलते हैं कि इसे डिटेक्ट करना नामुमकिन है. अब इस लीक में सोनर झमता, कितनी ध्वनि पैदा होती है, और कॉम्बैक सिस्टम से जुड़ी जानकारी बाहर आ चुकी है और इसका फायदा ऑपरेशन के दौरान दुश्मन को मिलेगा.
‘स्कॉर्पीन’ पनडुब्बियां पानी के भीतर चलते हुए लक्ष्य पर अपना निशाना साधती हैं. किसी भी पनडुब्बी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वे कितना कम शोर करते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंच पाती है. इस मामले में भी ‘स्कॉर्पीन’ को काफी बेहतर माना जा रहा था.
एक ऑस्ट्रेलियन अखबार ने पनडुब्बी से संबंधित 22,000 पेपर ऑनलाइन रिलीज किए हैं, जिन पर ‘रेस्ट्रिक्टिड स्कॉरपीन इंडिया’ (Restricted Scorpene India) लिखा हुआ है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि दस्तावेज फ्रांस या भारत में से किस जगह से लीक हुए हैं.
ये गोपनीय दस्तावेज कहां से लीक हुए हैं यह भी अभी तक साफ नहीं हो पाया है. ऑस्ट्रेलियन न्यूजपेपर के मुताबिक, डीसीएनएस ने कहा है कि लीक भारत से हुआ है, वहीं अखबार ने यह भी कहा कि हो सकता है इन्हें 2011 में फ्रांस में लीक किया गया हो. वहीं इंडियन नेवी के सूत्रों का कहना है कि ‘भारत के बाहर’ से ये पेपर्स लीक हुए हैं.
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि इसे पूरी तरह ‘लीक’ नहीं कहा जा सकता है, बल्कि यह ‘हैकिंग’ का मामला है.
डॉक्यूमेंट लीक होने के मामले में जितनी दिक्कत इंडिया के लिए आने वाली है, उससे कहीं ज्यादा परेशानी मलेशिया, चिली और ऑस्ट्रेलिया के लिए भी होने वाली है क्योंकि इन तीनों देशों में इस सबमरीन का इस्तेमाल पहले से हो रहा है. हालांकि नौसेना के सूत्रों के मुताबिक, पेपर लीक भारत के बाहर से हुआ है. उनका मानना है कि लीक किए गए कागजों से ज्यादा नुकसान नहीं हो सकता. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के एक्सपर्ट के मुताबिक यह बेहद अहम दस्तावेज हैं.
भले ही नेवी के सूत्र इस लीक से खतरा होने की बात से इनकार कर रहे हों, लेकिन कई जानकारों की राय इस पर काफी जुदा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि 22,400 पेज के दस्तावेज लीक हुए हैं तो यह एक बड़ी संख्या है. वहीं ऑस्ट्रेलियन न्यूजपेपर मे छपे दस्तावेज कहते हैं कि 4457 पेपर सबमरीन के अंडरवॉटर सेंसर के बारे में हैं, 4209 पेपर आउटवॉटर सेंसर के बारे में हैं, 4301 पेपर्स में इसके कॉम्बेट मैनेजमेंट की जानकारी है, 493 पेज में टॉरपेडो लॉन्च सिस्टम और 6841 पेपर्स में इसके कम्यूनिकेशन सिस्टम के बारे में बताया गया है. ये तथ्य साफ बता रहे हैं कि यह जानकारी कम नहीं है.
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा, ‘मुझे रात 12 बजे मामले का पता चला, यह हैकिंग का मामला है. हमारा पहला कदम ये पता लगाना होगा कि यह हमसे संबंधित है या नहीं. वैसे भी यह 100 फीसदी लीक का मामला नहीं है’.
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