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नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी की शिकायत दर्ज कराने वाले हैदराबाद स्थित व्यापारी सतीश बाबू सना ने केंद्रीय जांच एजेंसी की लंबित जांच के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सना की ही शिकायत पर सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। सना ने सर्वोच्च न्यायालय से संपर्क तब किया, जब इसके पहले सीबीआई ने उसे नोटिस भेजकर सोमवार शाम एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा।
सना के वकील ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई से यह कहते हुए मामले की तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया कि उनका मुवक्किल यह सोचकर भयभीत है कि यदि सीबीआई को उससे पूछताछ की अनुमति दी गई तो क्या कुछ होगा। वकील ने लंबित जांच के दौरान गिरफ्तारी से बचाव और नोटिस पर स्थगन का आग्रह किया।
वकील ने अदालत से यह आदेश देने का आग्रह किया कि सना के बयान सिर्फ सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायामूर्ति ए.के. पटनायक की निगरानी में दर्ज किए जाएं, जिन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने नियुक्त किया है।
सना ने अपनी याचिका में अदालत से कहा है कि उसे डर है कि जो बयान उसने दिए हैं, उसे वापस लेने या उसे बदलने के लिए उस पर दबाव डाला जाएगा, उसे धमकाया जाएगा।
सना ने याचिका में कहा है, "यदि सीबीआई को बगैर निगरानी के मुझसे पूछताछ की अनुमति दी गई तो उस स्थिति में मैं अपनी जिंदगी और व्यक्तिगत आजादी के लिए भारी खतरा महसूस करता हूं। मैं आशंकित हूं कि मुझे चिह्न्ति किया जाएगा, मेरा पीछा किया जाएगा और मुझ पर बराबर नजर रखी जाएगी। जांच की निगरानी कर रहे न्यायाधीश जब भी मुझे निर्देश देंगे, मैं दिल्ली आकर जांच में सहयोग करने को तैयार हूं।"
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए सूचीबद्ध कर दी।
सीबीआई ने अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ 15 अक्टूबर को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह प्राथमिकी सना की तरफ से तीन करोड़ रुपये की रिश्वतखोरी की शिकायत के बाद दर्ज की गई थी। सीबीआई मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के धनशोधन मामले में सना की पहले से जांच कर रही है।
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