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अलीगढ़/मऊ/लखनऊ (उप्र), 17 दिसम्बर (भाषा) संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और मऊ के दक्षिणटोला में हुई हिंसा के बाद मंगलवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही। पूरे प्रदेश से आज कहीं भी कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अलीगढ़ में आज हालात तेजी से सामान्य होते दिखे। एएमयू हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए 26 लोगों को सोमवार देर रात निजी मुचलके पर रिहा किया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश कुलहरि ने ‘भाषा’ को बताया कि रिहा किए गए इन 26 लोगों में से सिर्फ आठ ही एएमयू के छात्र हैं। बाकी बाहरी लोग हैं। पुलिस अधीक्षक (नगर) अभिषेक ने बताया कि स्थानीय धर्मगुरुओं की मदद से पुलिस प्रदर्शनकारियों को समझाने में सफल रही। मस्जिदों से भी एलान किया गया कि सरकार को उनकी चिंताओं से अवगत कराया जाएगा और कानून हाथ में लेने से कुछ हासिल नहीं होगा। एएमयू के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि विश्वविद्यालय को 5 जनवरी तक बंद किए जाने के बाद छात्रावास खाली करने की कवायद सोमवार पूरी रात जारी रही और करीब 11500 में से लगभग 9500 छात्र छात्रावास छोड़कर अपने घर रवाना हो गए हैं।
इस बीच, गांधीवादी कार्यकर्ता पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर और उनके कुछ सहयोगियों ने हाल में हिंसा से प्रभावित हुए एएमयू का मंगलवार को दौरा किया और कहा कि एएमयू के साथ एक तथ्यान्वेषी दल से मामले की जांच कराकर परिसर में हुई 'पुलिस ज्यादती' के खिलाफ एक कानूनी वाद दाखिल करेंगे। गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में भी रविवार देर रात बड़ी संख्या में छात्र और पुलिसकर्मी आमने-सामने आ गए थे। छात्र—पुलिस संघर्ष में 20 पुलिसकर्मियों और विश्वविद्यालय सुरक्षाकर्मियों समेत 70 लोग घायल हो गये थे।
सीएए का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के खिलाफ मऊ जिले में सोमवार रात भड़की हिंसा के बाद मंगलवार को वहां भी स्थिति शांतिपूर्ण रही। इस मामले में अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वारदात की वीडियो फुटेज और अखबारों में छपी तस्वीरों के जरिये उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। हालात के मद्देनजर जिले में इंटरनेट सेवाएं अगले आदेश तक बंद कर दी गयी हैं। शहर के सभी मदरसे और स्कूल-कॉलेज बंद कर दिये गये हैं। शहरी इलाके की दुकानें भी फिलहाल बंद हैं। जिले में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गयी है। रेलवे तथा स्टेशन बस स्टैण्ड पर भी बल तैनात किया गया है।
इस बीच, प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ एएमयू समेत कुछ शिक्षण संस्थानों में हुए बवाल के लिये इनमें में मौजूद 'अराजक तत्वों' को जिम्मेदार ठहराया। सिंह ने संवाददाताओं से कहा ''शिक्षण संस्थानों में अराजक तत्वों ने प्रवेश कर लिया है और वे ही पथराव कर रहे हैं। नहीं तो इस बात को कोई स्पष्ट नहीं कर सकता कि विद्या के मंदिरों में पत्थर कैसे आये। इसका मतलब है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने वहां पर प्रवेश किये हैं।''
इधर, लखनऊ में आज सुबह शिया कॉलेज के छात्रों ने परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन करना चाहा लेकिन पुलिस प्रशासन ने उन्हें समझाकर परिसर में वापस कर दिया। लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने बताया कि सीएए का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ राजधानी लखनऊ के इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवातुल उलमा (नदवा) और इंटीग्रल विश्वविद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन के मामले में 400 से ज्यादा अज्ञात लोगों के खिलाफ कुल चार मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि फोटो और वीडियो के आधार पर उपद्रवियों की शिकायत की जा रही है। खुफिया इकाई तथा मुखबिर तंत्र को मजबूत किया जा रहा है ताकि असामाजिक गतिविधियों पर नजर रखी जाए और उसमें शामिल लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। नैथानी ने बताया कि जिले में 11 कंपनी पीएसी मौजूद है। सभी को मुस्तैद रहने और खासतौर से शैक्षणिक संस्थानों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके अलावा विश्वविद्यालयों के आसपास तथा संवेदनशील स्थानों पर रात में भी पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो। गोरखपुर से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक सीएए का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में मंगलवार को गोरखपुर में समाजवादी छात्रसभा और कांग्रेस ने प्रदर्शन किये गये। वहीं, इमामबाड़ा मुतवल्लियान कमेटी ने जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन देकर सीएए और एनआरसी के निर्णय को वापस लेने की मांग की।
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