Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019संविधान देता है भारत की एकता के संदेश : मोदी

संविधान देता है भारत की एकता के संदेश : मोदी

संविधान देता है भारत की एकता के संदेश : मोदी

IANS
न्यूज
Published:
संविधान देता है भारत की एकता के संदेश : मोदी (लीड-1)
i
संविधान देता है भारत की एकता के संदेश : मोदी (लीड-1)
null

advertisement

नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 70वें संविधान दिवस के मौके पर कहा कि हमारे संविधान ने भारतीय नागरिकों के लिए गरिमा और भारत के लिए एकता के दो संदेश दिए हैं। मोदी ने संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक समारोह में अपने संबोधन में कहा, "हमारे संविधान ने हमें भारतीय के लिए गरिमा और भारत के लिए एकता के संदेश दिए हैं। इसने प्रत्येक भारतीय की गरिमा को कायम रखा है और यह सुनिश्चित किया है कि भारत की एकता मजबूत बनी रहे।"

उन्होंने कहा, "हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दिशा में आगे बढ़ पाए हैं। हमने तमाम सुधार संविधान की मर्यादा में रहकर किए हैं। हमारा संविधान हमारे लिए सबसे पवित्र ग्रंथ है। ऐसा ग्रंथ, जिसमें हमारे जीवन की, समाज की परंपराओं, हमारे आचार-विचार का समावेश है और अनेक चुनौतियों का समाधान भी है।"

देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को याद करते हुए उन्होंने कहा, "राजेंद्र बाबू ने कहा था कि 'हमें उन चीजों के लिए कन्वेंशन में जाना होगा, जो संविधान में नहीं है।' यही भारत की विशेषता रही है। पिछले कुछ दशकों में हमने अपने अधिकार बढ़ाए हैं, जो सही और न्यायसम्मत हैं।"

उन्होंने कहा, "अधिकार और कर्तव्य परस्पर आगे बढ़ते जाते हैं। महात्मा गांधी ने इस रिश्ते को अच्छे से समझाया था। अब जब हम उनकी 150वीं जयंती मना रहे हैं तो उनके विचार और ज्यादा प्रासांगिक हो गए हैं।"

उन्होंने कहा, "गांधी जी ने कहा था कि उन्होंने अपनी अशिक्षित लेकिन बुद्धिमान मां से सीखा था कि प्रत्येक अधिकार का आपकी जिम्मेदारी से सीधा संबंध है। अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारा संविधान वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है। यह न केवल अधिकारों के प्रति सजग रखता है, बल्कि हमारे कर्तव्यों के प्रति हमें जागरूक भी बनाता है।"

नरेन्द्र मोदी ने कहा, "पूरी दुनिया जब अधिकारों की बात कर रही थी, तब गांधी जी ने एक कदम आगे बढ़कर नागरिकों के कर्तव्यों के बारे में बात की।"

उन्होंने कहा, "जनप्रतिनिधि होने के कारण खुद को भी एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना हमारा दायित्व बन जाता है और हमें समाज में सार्थक बदलाव लाने के लिए इस कर्तव्य को भी निभाना होगा।"

उन्होंने कहा, "सेवाभाव, संस्कार और कर्तव्य हर समाज के लिए बहुत अहम हैं। लेकिन सेवाभाव से कर्तव्य अलग है। सेवाभाव किसी भी समाज को सशक्त करता है। उसी तहर कर्तव्यभाव भी बहुत अहम है। एक नागरिक के नाते हमें वो करना चाहिए, जिससे हमारा राष्ट्र शक्तिशाली बने।"

उन्होंने कहा, "हमारा संविधान 'हम भारत के लोग' से शुरू होता है, हम भारत के लोग ही इसकी ताकत हैं, हम ही इसकी प्रेरणा हैं और हम ही इसका उद्देश्य हैं।"

उन्होंने कहा, "बाबा साहेब आंबेडकर ने पूछा था कि हमें आजादी मिल गई और हम गणतंत्र हो गए, लेकिन क्या हम इसे कायम रख सकते हैं?"

उन्होंने कहा, "अगर आज वह मौजूद होते तो उनसे ज्यादा खुश कोई नहीं होता। भारत ने उनके सवालों का जवाब दे दिया है और सही मार्ग पर खुद को सशक्त किया है।"

उन्होंने कहा, "डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, सरदार पटेल, मौलाना आजाद, सुचेता कृपलानी और अनेक अनगिनत महापुरुषों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान देकर यह महान विरासत हमें सौंपी हैं। मैं उन सभी महापुरुषों को नमन करता हूं।"

उन्होंने कहा, "मैं विशेष तौर पर 130 करोड़ भारतीयों के सामने नतमस्तक हूं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र के प्रति आस्था को कभी कम नहीं होने दिया और हमारे संविधान को हमेशा एक पवित्र ग्रंथ माना।"

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT