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संविधान को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर 3 महीने में फैसला ले केंद्र : सुप्रीम कोर्ट

संविधान को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर 3 महीने में फैसला ले केंद्र : सुप्रीम कोर्ट

IANS
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संविधान को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर 3 महीने में फैसला ले केंद्र : सुप्रीम कोर्ट
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संविधान को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर 3 महीने में फैसला ले केंद्र : सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली, 17 जनवरी (आईएएनएस)| देश के प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने और प्राइमरी स्कूल के पाठ्यक्रम में भारतीय संविधान को शामिल करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को तीन महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश न्यायमूर्ती एन.वी. रमना, नवीन सिन्हा और रामसुब्रमण्यम की पीठ ने यह आदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी उपाध्याय की दलील सुनने के बाद दिया है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय स्थापित करने और भारतीय संविधान को प्राथमिक स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने से भाषावाद और क्षेत्रवाद समाप्त होगा। राष्ट्रीय एकता और अखंडता मजबूत होगी, आपसी भाईचारा बढ़ेगा और गरीब छात्रों को भी समान अवसर मिलेगा।

उपाध्याय ने कहा कि अच्छे स्कूल के अभाव में तहसील मुख्यालय पर कार्यरत तहसीलदार ए न्यायिक अधिकारी, डॉक्टर, पुलिस इंस्पेक्टर अपने परिवार को जिला मुख्यालय पर रखते हैं इससे आने-जाने में समय बर्बाद होता है और वे ठीक से अपनी ड्यूटी नहीं कर पाते हैं।

गौरतलब है कि इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उपाध्याय की जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि प्रत्येक तहसील में केंद्रीय विद्यालय खोलना और भारतीय संविधान को प्राइमरी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करना नीतिगत मामला है और इस पर अदालत केंद्र सरकार को निर्देश नहीं दे सकती है।

अपनी याचिका में उपाध्याय ने कहा कि देश में कुल 5464 तहसील हैं, लेकिन केंद्रीय विद्यालय मात्र 1209 हैं, इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलना चाहिए। इससे गरीब बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी, उन्हें समान अवसर मिलेगा, आपसी भाईचारा बढ़ेगा तथा देश की एकता और अखंडता मजबूत होगी।

याचिका में आगे कहा गया है कि गरीबी के चलते किसान-मजदूर के होनहार बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा नहीं मिल पाती है। प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने से उच्च कोटि की शिक्षा गरीब छात्रों तक पहुंचेगी, जो अभी तक इससे वंचित हैं।

याचिकाकर्ता की दलील थी कि तहसील में रहने वाले तहसीलदार, उपजिलाधिकारी, कोतवाल, थानेदार, बिजली विभाग के अधिकारी, लोक निर्माण विभाग के अभियंता, लेक्च रर, प्रोफेसर और सरकारी डॉक्टर अपना परिवार साथ नहीं रखते, क्योंकि तहसील मुख्यालय पर उनके बच्चों के लिए अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा व्यवस्था नहीं होती है। प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने से उक्त सभी लोग अपना परिवार अपने साथ रख सकेंगे। ऐसे में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी रोजाना लंबी यात्रा नहीं करेंगे और छुट्टियों पर नहीं जाएंगे, जिसका सीधा फायदा यह होगा कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारी जरुरतमंद लोगों को हर समय उपलब्ध रहेंगे और इससे प्रशासनिक कार्य अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा।

याचिका में कहा गया है कि प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय खोलने पर राज्य के सरकारी स्कूलो में प्रतिस्पर्धा आयेगी, फलस्वरूप शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

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