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इस रोबोट को बनाने वाला कोई और नहीं, वरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित अशोका इंस्टीट्यूट के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तृतीय वर्ष का छात्र विशाल पटेल हैं। इन्होंने एक 'एंटी कोविड-19 रोबोट' ईजाद किया है।
हल्के पानी में चलने वाले इस रोबोट की खासियत है कि यह चिकनी सतह के साथ ऊबड़-खाबड़ जगह पर भी आराम से चल सकता है जो अमूमन रोबोट में देखने को नहीं मिलता। विशेषज्ञ मानते हैं कि शहरों के भीड़भाड़ वाले इलाके में तो यह काम करेगा ही, ग्रामीण क्षेत्रों जहां पुलिस नहीं पहुंच पा रही, वहां भी ज्यादा कारगर साबित हो सकता है।
अपने सीनियर श्याम चौरसिया की देखरेख में एंटी कोविड-19 रोबोट का निर्माण करने वाले विशाल पटेल का दावा है कि यह उपकरण सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों का सुरक्षा कवच भी है। इतना ही नहीं, यह लॉकडाउन तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस की मदद करेगा। अगर इसे अपनाया गया तो थाने और पुलिस चौकी में बैठी पुलिस को सोशल डिस्टेसिंग का पालन कराने में सुविधा होगी। इस रोबोट के रहते पुलिसकर्मियों को भीड़भाड़ वाले इलाके में जाना ही नहीं पड़ेगा। उन्हें संक्रमण का खतरा कम रहेगा और वे इस रोबोट के माध्यम से आराम से अपनी ड्यूटी निभा सकेंगे।
विशाल का दावा है कि 'एंटी कोविड-19 रोबोट' सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने में काफी कारगर हथियार साबित होगा। मूविंग कैमरा, रिमोट और इंटरनेट के माध्यम से चलाए जाने वाले इस उपकरण को टू-वे कॉलिंग के जरिए पुलिस चौकी में बैठे-बैठे लॉकडाउन का पालन कराया जा सकता है।
* लगेगा जोर का झटका धीरे से
हर दिशा में चलने-मुड़ने में सक्षम एंटी कोविड-19 रोबोट के पास सुरक्षित रहने वाले 2000 वोल्ट के करंट का उपयोग कर सोशल डिस्टेंसिंग तोड़ने वालों को जोर का झटका धीरे से दिया जा सकेगा। इतना ही नहीं, यह पुलिस जवान इसे 100-200 मीटर के दायरे में मौका मुअयाना में भी सक्षम है।
* लोगों की दिक्कतें सुनने में भी सक्षम
एंटी कोविड-19 रोबोट में लक डाउन के दौरान आ रही लोगों की दिक्कतों को सुनने और पुलिस तक पहुंचाने का भी गुण है। अगर किसी को कोई दिक्कत है तो उसे बस रोबोट के सामने खड़ा होकर अपनी समस्या बतानी होगी। रोबोट उसकी बातों को रिकार्ड करेगा और पुलिस तक उस संदेश को पहुंचाएगा। संदेश पाकर पुलिस उसकी मदद को पहुंचेगी।
* रात में भी काम करने में सक्षम
यह रात में भी काम करने में सक्षम है। इसमें दिया गया नाइट विजन कैमरे का ऑप्शन पुलिस को रात में भी पेट्रोलिंग में मदद करेगी।
ये भी जानें :
हाईटेक मॉडल के इस रोबोट की ऊंचाई करीब 2 फीट है। इसकी रफ्तार 1 मिनट में 200 मीटर की है। इसे बनाने में 4 से 5 हजार रुपये लागत आई है। इसे किसी भी तरह के रास्ते पर चलाया जा सकता है। यह हल्के पानी में भी चल सकता है और आरएफ रिमोट व इंटरनेट के माध्यम से संचालित होने में सक्षम है। इसमें गियर मोटर, एंड्रॉइड मोबाइल फोन, 6 वोल्ट बैटरी और ब्लूटूथ स्पीकर का इस्तेमाल हुआ है। लॉकडाउन के दौरान 1 महीने की मेहनत में तैयार इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का वजन तकरीबन 2 किलोग्राम है।
गोरखपुर तारामंडल के प्रभारी और वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने आईएएनएस को बताया, "इस कोरोनाकाल में यूं तो कई तरह के रोबोट विकसित किए गए हैं, लेकिन बनारस में बने इस रोबोट की खासियत यह कि इसका इस्तेमाल ऊबड़-खाबड़ जगहों व रिमोट एरिया में भी हो सकता है, जबकि अन्य किस्म के रोबोट केवल समतल व चिकनी सतह पर ही चलते हैं। इसमें ऐसे पहिये लगे हैं कि इसे ग्रामीण इलाके के ऊबर-खाबड़ रास्ते पर चलाने में कोई परेशानी नहीं होगी। इस खूबी के कारण वहां की पुलिस चौकी या थानों में भी इसकी मांग बढ़ सकती है।
--आईएएनएस
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