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श्रीलंका (Sri lanka Economic Crisis) में आर्थिक संकट से बिगड़ते हालातों के बीच आपातकाल लगा दिया गया है. देश के पास पैसा नहीं बचा, खाना, तेल, दवाइयों जैसी बुनियादी चीजों का आयात मुश्किल हो गया है. इस बीच श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल समागी जाना बालवेगया (SJB) ने सर्वसम्मति से साजिथ प्रेमदासा (Sajith Premadasa) को अंतरिम राष्ट्रपति पद के लिए नामित करने का फैसला किया है.
राष्ट्रपति गोटाबाय राजपक्षे ने घोषणा की है कि वह इस हफ्ते इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं, और संसद के अध्यक्ष ने कहा है कि 20 जुलाई को अगला राष्ट्रपति चुना जाएगा. 2019 में साजिथ राष्ट्रपति चुनाव हार गए थे और उन्हें जीतने के लिए गवर्निंग गठबंधन के सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी.
जून में देश की मुद्रास्फीति की दर 55% तक पहुंच गई हैं और लाखों लोग जीवन यापन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि वह एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार में भाग लेने के लिए तैयार हैं.
इसके बाद उनके प्रतिद्वंद्वी रानिल विक्रमसिंघे को नियुक्त किया गया था - लेकिन उन्होंने भी कह दिया है कि वे भी इस्तीफा देंगे.
बीबीसी से बातचीत में प्रेमदासा ने श्रीलंका की वर्तमान स्थिति को "भ्रमित, अनिश्चितता और पूर्ण अराजकता" के रूप में वर्णित किया और कहा कि, इसके लिए "आम सहमति, परामर्श, समझौता और एक साथ आने" की आवश्यकता है.
बता दें कि प्रेमदासा अगले राष्ट्रपति बनने के काफी करीब हैं. एसजेबी के पास संसद में लगभग 50 सांसद हैं और संसद का वोट जीतने के लिए उन्हें 113 सांसदों के समर्थन की जरूरत है.
पार्लियामेंट ऑफ श्रीलंका की वेबसाइट के अनुसार साजिथ प्रेमदासा का जन्म 12 जनवरी 1967 में हुआ. वे पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के बेटे हैं, रणसिंघे प्रेमदासा ने 1989 से 1993 तक श्रीलंका का राष्ट्रपति पद संभाला था. साजिथ जब पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे तब उनके पिता की 1993 में हत्या कर दी गई थी. इसी घटना के बाद उन्होंने श्रीलंका की राजनीति में एंट्री ली. शुरुआत में उन्होंने अपने पिता की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी में की सदस्यता ली थी.
2015 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद, प्रेमदासा को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा जनवरी 2015 में गठित नई कैबिनेट में आवास और समृद्धि मंत्री नियुक्त किया गया. 2019 में उन्हें पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया लेकिन वह जीत नहीं सके.
5 दिसंबर 2019 को, उन्हें विपक्ष के नेता के रूप में नामित किया गया और आधिकारिक तौर पर 3 जनवरी 2020 को स्पीकर ने उन्हें नामित किया. विपक्ष के नेता के रूप में उनकी नियुक्ति के साथ, उन्हें संवैधानिक परिषद (श्रीलंका) के सदस्य के रूप में एक सीट दी गई थी.
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