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अहमदाबाद में कोरोनावायरस से एक महिला की मौत होने के बाद जब उसके शव को घर के पास स्थित कब्रिस्तान में दफनाने ले जाया गया तो कई स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया और आशंका जताई कि इससे संक्रमण फैलने का खतरा है.
पुलिस ने रविवार को बताया कि स्थानीय लोगों द्वारा विरोध किए जाने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारी शव को दूसरे कब्रिस्तान में ले गए जहां उसे दफनाया गया.
कोविड-19 की मरीज महिला 46 वर्ष की थी और अहमदाबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल हॉस्पिटल में शनिवार को उसकी मौत हो गयी थी. इसके बाद उसी दिन शाम को उसके शव को कागड़ापीठ में उसके घर के पास स्थित कब्रिस्तान ले जाया गया था.
लोगों द्वारा विरोध करने के बाद शव को दानिलिमड़ा क्षेत्र में स्थित कब्रिस्तान ले जाया गया. वहां भी स्थानीय लोगों ने शव को दफनाने का विरोध किया.
अधिकारियों ने स्थानीय लोगों को समझाने का प्रयास किया कि शव को चिकित्सकीय नियम के अनुसार पूरी तरह साफ किया गया है और संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है. अधिकारियों द्वारा समझाने बुझाने के बाद लोग मान गए और शव को दफनाने की अनुमति दे दी.
दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने इस विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि कोरोनोवायरस शवों के अंतिम संस्कार के माध्यम से नहीं फैल सकता है. यह खांसने और छींकने से फैलता है. इस वायरस के प्रसार के लिए छींकना-खांसी जरूरी है. इसलिए संक्रमित शरीर का अंतिम संस्कार करने में कोई जोखिम नहीं है."
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी इस मामले को लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया है स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "लोगों को डर लगता है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के अंतिम संस्कार से संक्रमण हवा में फैल जाएगा, जबकि ऐसे बिल्कुल नहीं है. अंतिम संस्कार करने में कोई दिक्कत नहीं है. मृत्यु के बाद कोरोना वायरस नहीं फैला सकता है.”
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