advertisement
असम (Assam) के नागांव (Nagaon) में अधिकारियों ने रविवार 22 मई को जिले के एक पुलिस थाने में कथित रूप से आग लगाने में शामिल कई परिवारों के घरों को ध्वस्त कर दिया. एक स्थानीय निवासी की हिरासत में मौत के एक कथित मामले के बाद, सलोनाबोरी गांव के लगभग 40 लोगों की भीड़ ने शनिवार 21 मई की दोपहर ढिंग क्षेत्र में बटाद्रवा पुलिस स्टेशन के एक हिस्से में आग लगा दी थी. नागांव जिला प्रशासन ने शनिवार को मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए और साथ ही बटाद्रवा स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को निलंबित कर दिया गया.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रविवार की सुबह, थाने से करीब छह किलोमीटर दूर गांव में बुलडोजर पहुंचे और उन लोगों के घरों को ध्वस्त कर दिया, जो पुलिस थाने में आग लगाने में शामिल थे.
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, असम के विशेष डीजीपी (कानून और व्यवस्था) जी पी सिंह ने कहा,
उन्होंने कहा कि इसमें शामिल अन्य लोगों की पहचान करने के लिए वीडियो फुटेज की जांच की जा रही है.
इस कार्यवाही के बाद, बारपेटा के कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "हम पुलिस थाने पर हमले का कभी समर्थन नहीं करते. लेकिन पुलिस का हमलावरों के घरों पर बुलडोजर चलाना सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है."
पुलिस के अनुसार, सलोनाबोरी गांव के एक मछली व्यापारी सोफिकुल इस्लाम को शुक्रवार 20 मई की रात को थाने लाया गया था. अगली सुबह उसकी मौत हो गई थी, जो सवालों के घेरे में है.
जबकि पुलिस ने दावा किया कि उसकी पत्नी के उसे उठाकर अस्पताल ले जाने के बाद उसकी मौत हुई है. वहीं परिवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें अस्पताल में शफीकुल मृत मिला था.
जबकि असम पुलिस ने बटाद्रवा स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को निलंबित कर दिया है, पुलिस का कहना है कि आगजनी में शामिल तत्वों के खिलाफ "और भी सख्त" कार्यवाही करेंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)