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सुनवाई में गायब होने पर विदेशी घोषित, असम की महिला को वापस मिली नागरिकता

फॉरन ट्रिब्यूनल की सुनवाई में पेश नहीं होने के बाद ट्रिब्यूनल ने महिला को विदेशी घोषित कर दिया था.

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<div class="paragraphs"><p>असम की महिला को वापस मिली नागरिकता</p></div>
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असम की महिला को वापस मिली नागरिकता

(फोटो: iStock)

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2017 में एक महिला को विदेशी घोषित करने के बाद, असम के सिलचर जिले में एक फॉरन ट्रिब्यूनल ने पिछले हफ्ते गुवाहाटी हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उसे भारत का नागरिक घोषित करने का आदेश दिया.

19 सितंबर, 2017 को, फॉरनर्स ट्रिब्यूनल 6 ने कछार जिले के सोनाई के मोहनखल गांव की एक 23 साल की महिला सेफाली रानी दास को एक विदेशी घोषित कर दिया था. ट्रिब्यूनल की सुनवाई में पेश नहीं होने के बाद ट्रिब्यूनल ने महिला को विदेशी घोषित कर दिया था.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ दास ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जुलाई 2021 में, दास ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में कहा कि कार्यवाही के दौरान उनकी ओर से जानबूझकर लापरवाही नहीं की गई थी. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने तब वकील से सही कानूनी सलाह नहीं मिली थी, और न ही वो कानूनी प्रावधानों से अच्छी तरह वाकिफ थीं, और इस कारण उनकी सुनवाई की तारीखें मिस कर गईं.

रिपोर्ट के मुताबिक, दास पांच बार फॉरन ट्रिब्यूनल के सामने पेश होने में नाकाम रहीं, जिसके बाद उन्हें विदेशी घोषित कर दिया गया.
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हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

दास के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद, कोर्ट ने जुलाई 2021 में आदेश को रद्द कर दिया और सिलचर ट्रिब्यूनल के सामने ये साबित करने का एक और मौका दिया कि वो एक भारतीय नागरिक हैं. पिछले हफ्ते, ट्रिब्यून ने दोबारा केस की सुनवाई की और दास को भारत का नागरिक घोषित किया.

अपने फैसले में, जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह और जस्टिस सौमित्र सैकिया की हाईकोर्ट बेंच ने दास को अपना केस साबित करने का एक और मौका दिया, जिसमें कहा गया था कि नागरिकता किसी शख्स का बहुत महत्वपूर्ण अधिकार था, जिसे आमतौर पर योग्यता के आधार पर तय किया जाना चाहिए, न कि डिफॉल्ट के रूप में, जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ है."

बांग्लादेश से भारत आए थे दादा

दास का दावा है कि उनके दादा, दुलराब्रम दास, 1950 में बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में धार्मिक उत्पीड़न के बाद भारत आए थे. वो शुरू में सिलचर पुलिस स्टेशन के तहत छोटो दूधपाटिल में रहते थे, बाद में जब उन्होंने जमीन और संपत्ति हासिल कर ली, तो वो मोहनकल चले गए.

अपनी नागरिकता साबित करने के लिए, महिला ने अपने दादा के 1952 के जमीन से जुड़े दस्तावेज और 1965 की वोटर लिस्ट में उनका रिकॉर्ड पेश किया. उन्होंने अपने पिता का 1993 में वोटर लिस्ट में रिकॉर्ड भी पेश किया, जिसमें लिखा था कि वो दुलराब्रम के बेटे हैं. इसके अलावा उन्होंने, अपने बर्थ सर्टिफिकेट, पढ़ाई से जुड़े दस्तावेज और अन्य कागजात पेश किए.

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