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बंगाल और असम में दूसरे चरण का मतदान संपन्न हुआ. जहां आरोप-प्रत्यारोप, धरना सब कुछ देखने को मिला. चुनाव की सबसे चर्चित सीट नंदीग्राम में भी इसी फ़ेज़ में वोटिंग हुई जहां ममता बनर्जी के सहयोगी रहे सुवेन्दु अधिकारी उनके खिलाफ मैदान में है. उस सीट पर भी दिनभर काफी हलचल रही.
पश्चिम बंगाल के 30 सीटों पर शाम 6 बजे तक 80.43 फीसदी मतदान हुआ वहीं असम के 39 सीटों पर 73.03 फीसदी मतदान हुआ.
ममता के ख़िलाफ मैदान में खड़े बीजेपी उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी के काफिले पर हमला हुआ. बीजेपी ने टीएमसी पर हमले का आरोप लगाया है. बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इसे टीएमसी की संभावित हार की हताशा का नतीजा बताया.
बीजेपी और टीएमसी दोनों ही पार्टियां ने एक दूसरे पर हमले और धांधली का आरोप लगाया. वैसे भी पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का काफ़ी पुराना इतिहास है.
वहीं सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी ने 2 घंटे तक वोटिंग रोक रखी थी. उन्होंने ममता बनर्जी पर 10% वोटरों को भगाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने इस बार नंदीग्राम में शानदार वोटिंग कराई है. इस तरह का वोट जंगलराज में पहली बार हुआ है.
मतदान के बीच ममता बनर्जी बोया पोलिंग बूथ पर पहुंची जहां टीएमसी कार्यकर्ताओं का आरोप था कि उन्हें मतदान नहीं करने दिया जा रहा है. ममता बनर्जी ने कहा कि “नारे लगाने वाले लोग बाहरी हैं. वे बिहार और यूपी से आए थे, उन्हें केंद्रीय बलों द्वारा संरक्षित किया जा रहा है.” उन्होंने वहीं से राज्यपाल धनखड़ को फ़ोन किया और निष्पक्ष चुनाव कराए जाने की मांग की. जिसपर राज्यपाल ने सही एक्शन लिए जाने का भरोसा दिया.
ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर भी आरोप लगाया कि वोटिंग की समस्याओं को लेकर आयोग से शिकायत की थी लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया.
टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने बूथों पर धांधली की कोशिश का आरोप लगाया. उन्होंने ट्वीट किया, “बीजेपी और उनके दिमाग का खेल! काम नहीं आएगा. नंदीग्राम के 354 बूथों पर टीएमसी बूथ एजेंट्स मजबूती से जमे हए हैं. हमने 10 खास बूथों के लिए शिकायतें दर्ज की हैं. मतदाताओं को प्रभावित करने और डराने के लिए सीआरपीएफ द्वारा प्रयास काम नहीं कर रहे हैं. लोगों ने ठान लिया है ममता बनर्जी को अपने विधायक के रूप में देखना.”
बंगाल की 30 सीटों में जंगलमहल के अलावा साउथ 24 परगना की 4 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं. ये गोसाबा, काकद्वीप, सागर और पथरप्रतिमा जैसे क्षेत्र हैं, जिन्होंने मई 2020 में चक्रवात अम्फान के दौरान बड़े पैमाने पर नुकसान झेला. इसके साथ ही यहां देरी से राहत पहुंचने या बिल्कुल भी नहीं पहुंचने की शिकायतें भी आईं. हालांकि इन सभी चार सीटों पर 2019 में टीएमसी आगे थी. नंदीग्राम आंदोलन के दौरान ममता और सुवेंदु एक साथ मोर्चा संभाले हुए थे लेकिन इस बार आमने-सामने हैं. इसका टीएमसी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
असम में दूसरे फेज का चुनाव शांतिपूर्ण रहा लेकिन तीसरे फेज की तामुलपुर सीट से यूपीए उम्मीदवार रंगजा खुंगुर बसुमतरी बीजेपी में शामिल हो गए. इससे कुछ सीटों पर प्रभाव पड़ सकता है. बसुमतरी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के हैं. कांग्रेस गठबंधन के लिए दूसरा फेज काफ़ी महत्वपूर्ण है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस गठबंधन में दरार की वजह से इस फ़ेज की 8 सीटें जीती थी. कांग्रेस और यूडीएफ ने एक दूसरे के वोट काट दिए थे. दोनों पार्टियों के साथ लड़ने से इस चुनाव में वो फ़ायदे की उम्मीद कर रही हैं. बीपीएफ पिछली बार बीजेपी के साथ थी लेकिन इसबार कांग्रेस के साथ है. तो इसका भी फ़ायदा यूपीए गठबंधन को मिल सकता है.
आपको बता दें कि बंगाल में पहले चरण में 30 विधानसभा सीटों के लिए बंपर 79.79% वोटिंग हुई थी. असम में भी 47 विधानसभा सीटों के लिए पहले चरण में कुल 75.04 फीसदी वोटिंग हुई. पश्चिम बंगाल में 8 चरणों और असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं
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