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बिहार के मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाली बीमारी 'इंसेफेलाइटिस' से पीड़ित बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. मौसम की तल्खी और हवा में नमी की अधिकता के कारण संदिग्ध एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) नामक बीमारी से पिछले करीब दस दिनों में 54 बच्चों की मौत हो चुकी है.
इनमें से 46 बच्चों को श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और 8 बच्चों को केजरीवाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. इस बीच, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बीमारी को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस पर नजर बनाए हुए है.
हर साल इस मौसम में मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में फैलने वाली बीमारी का कहर जारी है. इस बीच पीड़ित बच्चों को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल मातृ सदन (अस्पताल) में भर्ती होने का सिलसिला जारी है.
उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम (नमक) की मात्रा भी कम पाई जा रही है. उन्होंने कहा कि एईएस के संदिग्ध मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले चिकित्सक उसकी जांच कराते हैं. ब्लड शुगर, सोडियम, पोटाशियम की जांच के बाद ही उसका इलाज शुरू किया जाता है.
इधर, केजरीवाल हॉस्पिटल के प्रबंधक ने कहा है कि बीते एक सप्ताह के भीतर यहां चमकी बुखार से पीड़ित 39 बच्चों को भर्ती किया गया, जिसमें से आठ बच्चों की मौत हो गई है.
एसकेएमसीएच में डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की 24 घंटे ड्यूटी लगाई गई है. उमस भरी गर्मी के कारण ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है
मुजफ्फरपुर में फैली बीमारी एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) से हो रही बच्चों की मौत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग इस पूरे मामले पर नजर रख रहा है. बरसात से पहले ये बीमारी हर साल बिहार में कहर बरपाती है. इसकी पूरी जांच की जा रही है.
उन्होंने कहा, "लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरूक कराना होगा. हर साल बच्चे काल की गाल में समा जा रहे हैं. ये चिंता का विषय है."
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