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Bihar: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और केके पाठक आमने-सामने,लेटर वार में कूदी RJD-JDU

Bihar News: शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव डॉ. कृष्णा नंद यादव के शिक्षा विभाग में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.

क्विंट हिंदी
राज्य
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<div class="paragraphs"><p>Bihar: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और केके पाठक आमने-सामने,लेटर वार में कूदी RJD-JDU</p></div>
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Bihar: शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और केके पाठक आमने-सामने,लेटर वार में कूदी RJD-JDU

(फोटो: क्विंट)

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बिहार (Bihar) का शिक्षा विभाग इन दिनों लगातार सुर्खियों में है. शिक्षक भर्ती नियमावली में बदलाव पर हंगामे के बाद अब शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव आमने-सामने हैं. आरजेडी कोटे से प्रदेश के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच आंतरिक तनातनी खुलकर सामने आ गई है. इस मुद्दे को लेकर आरजेडी और जेडीयू के बीच भी बयानबाजी हो रही है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मंगलवार, 4 जुलाई को शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के आप्त सचिव डॉ. कृष्णा नंद यादव ने अपर मुख्य सचिव केके पाठक के नाम एक पीत पत्र लिखा था. तीन पन्नों के इस पत्र में केके पाठक पर जमकर निशाना साधा है. बताया जा रहा है कि ये पीत पत्र शिक्षा मंत्री के निर्देश पर ही लिखा गया था.

शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव द्वारा अपर मुख्य सचिव को लिखे गए पीत की कॉपी

(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

पत्र में लिखा गया है कि "शिक्षा मंत्री के द्वारा यह महसूस किया जा रहा है कि विभाग मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक चर्चा में रहा है. विभाग से संबंधित कोई भी पत्र/ संकल्प आदि विभागीय पदाधिकारियों/मंत्री कोषांग में पहुंचने से पहले ही सोशल मीडिया/ यूट्यूब चैनलों और विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में प्रेषित होने लगते हैं."

"शिक्षा विभाग में ज्ञान से अधिक चर्चा कड़क, सीधा करने, नट-बोल्ट टाइट करने, शौचालय की सफाई, झाड़ू मारने, ड्रेस पहनने, फोड़ने, डराने, पैंट गिली करने, नकेल-कसने, वेतन काटने, निलंबित करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे शब्दों की हो रही है."

हालांकि, इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. पीत पत्र को लेकर मीडिया के सवाल से वो बचते दिखे. लेकिन आरजेडी और जेडीयू के बीच बयानबाजी जरूर जारी है.

RJD और JDU के बीच बयानबाजी

आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने शिक्षा मंत्री का समर्थन किया है. भाई वीरेंद्र ने कहा है कि "केके पाठक लगातार शिक्षा मंत्री और सरकार की फजीहत करवाते रहते हैं. नीतीश कुमार जी को खुद संज्ञान लेकर केके पाठक को कान पकड़ कर बाहर निकालना चाहिए. अपने मनमर्जी का काम केके पाठक करते हैं. इनको क्या चाहिए, हमको पता है. इसका बाद में खुलासा होगा."

केके पाठक का विरोध JDU कोटे से बिहार सरकार में मंत्री रत्नेश सदा ने भी किया है. अपर मुख्य सचिव की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने केके पाठक को दलित विरोधी करार दिया है. उन्होंने कहा कि, "वो सामंती विचारधारा के लोग हैं और विभाग में आने के बाद अपनी विचारधारा को लागू करना चाहते हैं."

इसके साथ ही उन्होंने महादलित शिक्षकों के लिए जारी की गई नई गाइडलाइन को लेकर भी केके पाठक पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि,

"90 प्रतिशत अगर बच्चे की उपस्थिति नहीं रहेगी तो महादलित टोले के शिक्षक का वेतन काटा जाएगा. ये फरमान कहीं से उचित नही है. ऐसी जिम्मेदारी वैसे शिक्षकों को क्यों नहीं देते, जिनका वेतन काफी ज्यादा है. सिर्फ महादलित समाज के शिक्षक पर ऐसा दवाब कहां तक उचित है?"
रत्नेश सदा, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण मंत्री

दूसरी तरफ केके पाठक के बचाव में जेडीयू कोटे से मंत्री श्रवण कुमार सामने आए हैं. श्रवण कुमार ने उनके बचाव में कहा कि "केके पाठक कड़क अधिकारी हैं. नियम के तहत अपना काम करते हैं."

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शिक्षा विभाग में आप्त सचिव के प्रवेश पर रोक

बहरहाल, शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच विवाद और बढ़ता दिख रहा है. शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव डॉ. कृष्णा नंद यादव के शिक्षा विभाग में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. बताया जा रहा है कि केके पाठक के निर्देश पर ये कार्रवाई हुई है. आप्त सचिव के पीत पत्र का जवाब विभाग के अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने भेजा है. इस पत्र में लिखा है कि,

"'आपकी सेवाएं लौटने के लिए सक्षम प्राधिकार को विभाग पहले ही लिख चुका है. विभाग द्वारा यह भी निदेशित किया गया है कि अब आप शिक्षा विभाग के कार्यालय में भौतिक रूप से प्रवेश नहीं कर सकते हैं."

इसके साथ ही पत्र में लिखा गया है कि "पिछले एक सप्ताह से भांती-भांती के पीत पत्र आपके द्वारा भेजे गए हैं. इस संबंध में आपको आगाह किया गया था कि आप आप्त सचिव (बाह्य) तौर पर हैं. आपको नियम के अनुसार सरकारी अधिकारियों से सीधे पत्राचार नहीं करना चाहिए."

(इनपुट: महीप राज)

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