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पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) में हो रही भारी बारिश की वजह से बिहार (Bihar) के उत्तरी हिस्से में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. सोमवार, 14 अगस्त को नेपाल में कोसी बैराज से 4.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो साल 1989 के बाद से सबसे ज्यादा है. 34 साल बाद कोसी नदी में इतना पानी आने से सुपौल में बाढ़ जैसे हालत बन गए हैं. जल संसाधन विभाग ने लोगों की सहायता के लिए एक टॉल फ्री नंबर 1800-3456-145 जारी किया है.
जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, बलतारा और कुरसेला में कोसी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जिसकी वजह से कोसी तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
प्रदेश के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने लोगों को बाढ़ के खतरे को लेकर अलर्ट किया है. उन्होंने ट्वीट किया, "नेपाल में कोसी नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण आज सुबह वीरपुर स्थित कोसी बैराज पर अधिकतम 4,62,345 क्यूसेक जलस्राव दर्ज किया गया है. इससे कोसी नदी के जलस्तर में वृद्धि की संभावना है."
मीडिया से बातचीत में संजय झा ने कहा कि तैयारियां पूरी है. ये तैयारियों का ही नतीजा है कि इतना पानी आने के बाद भी हम लोग सारे तटबंध को सुरक्षित रखने में कामयाब रहे हैं. हमारे सारे इंजीनियर और लोग अलर्ट हैं.
बता दें कि कोसी नदी सुपौल, मधुबनी, सहरसा, दरभंगा, खगड़िया, मधेपुरा और कटिहार जिलों में बहती है.
नेपाल में भारी बारिश की वजह से गंडक नदी में भी पानी छोड़ा गया है. जन संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को वाल्मिकीनगर बैराज से इस का अधिकतम 3.03 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया.
वहीं गंगा नदी कहलगांव में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं बक्सर, दीघा, गांधीघाट, हाथीदह, मुंगेर और भागलपुर में जलस्तर में कमी दर्ज की गई है. पिछले 24 घंटे में गंगा का जलस्तर दीघा घाट पर 13 सेमी और गांधी घाट पर 11 सेमी घटा है. उधर, हाथीदह के जलस्तर में भी 5 मीटर की गिरावट दर्ज की गई है.
(इनपुट: महीप राज)
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