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"जब हम विधानसभा के सदस्य हैं, विधायक हैं, सरकार में हैं, जब मेरी पत्नी को अस्पताल में इलाज नहीं मिला, तो आम लोगों के साथ क्या करते होंगे ये लोग." बिहार के अररिया जिले के रानीगंज विधानसभा से नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के विधायक अचमित ऋषिदेव अपनी पत्नी के निधन की बात बताते हुए भावुक हो जाते हैं.
विधायक अचमित ऋषिदेव कहते हैं कि अररिया सदर अस्पताल में इलाज शुरू हो जाता और वेंटिलेटर मिल जाता तो फारबिसगंज जाने में जो आधा घंटा वक्त बर्बाद हुआ, वो नहीं होता
क्विंट से बात करते हुए विधायक कहते हैं, "मेरी पत्नी को हम बचा नहीं सके. अस्पताल प्रशासन की गलती है."
विधायक ने क्विंट को बताया कि पत्नी की मौत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी बात हुई. "नीतीश जी हमसे बात किए, उन्हें चिंता वयक्त किया, दुखी हुए. हमने भी उन्हें बताया कि वेंटिलेटर की कमी है, डॉक्टर इलाज करने से मना कर दिया था."
जब क्विंट ने अचमित ऋषिदेव से पूछा कि आपकी सरकार है और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री फिर भी अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं है, तब उन्होंने चौंकाने वाला बयान दिया. उन्होंने कहा,
हमने विधायक से दोबारा पूछा कि बदइंजामी के लिए क्या आप सरकार को जिम्मेदार नहीं मानते हैं, तो विधायक ने कहा, “नीतीश कुमार कैसे जिम्मेदार हो गए? उन्होंने तो सारी सुविधाएं दी हैं. इसमें तो जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है.”
जब क्विंट ने विधायक से पूछा कि क्या इन कमियों के लिए आप स्वास्थय मंत्री मंगल पांडे को जिम्मेदार मानते हैं? तब पहले तो विधायक ने कहा,
हालांकि जब दोबारा मंगल पांडे का जिक्र हमने किया तो विधायक जी ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को भी क्लीनचिट देते हुए हमसे ही पूछा कि बताइए मंगल पांडे की जिम्मेदारी है या अस्पताल प्रशासन की? फिर जवाब देते हुए कहा, "अस्पताल में ऑक्सीजन कौन लगाएगा? मंगल पांडे? ये काम तो अस्पताल का है. वेंटिलेटर का इंतजाम तो अस्पताल को करना है."
बता दें कि विधायक अचमित ऋषिदेव कहते हैं कि 18 मई को तबियत बिगड़ी तो अररिया सदर अस्पताल लेकर गए, लेकिन वहां डॉक्टर ने देखने से मना कर दिया. विधायक कहते हैं, "अररिया सदर अस्पताल में मेरी पत्नी को देखा तक नहीं. अस्पताल ने कहा फारबिसगंज ले जाइए, जब फारबिसगंज गए तो वहां इलाज शुरू हुआ, लेकिन डॉक्टर ने कहा वेंटिलेटर की जरूरत है, जिसके लिए किसी बड़े अस्पताल ले जाना होगा. ऑक्सीजन के साथ वाले एंबुलेंस का इंतजाम किए और मुरलीगंज गए, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही मेरी पत्नी का निधन हो गया."
क्विंट ने अररिया के एडिशनल चीफ मेडिकल ऑफिसर सीपी मंडल से बात की तो उन्होंने बताया कि अररिया के सदर अस्पताल में सिर्फ पांच वेंटिलेटर हैं, लेकिन इसे चलाने वाला कोई नहीं है. डॉक्टर को ट्रेनिंग दी गई है, लेकिन उनसे वो शुरू नहीं हो सकता. सीपी मंडल बताते हैं कि अस्पताल में आईसीयू भी नहीं है, अगर कोई ऐसा मरीज आता है जिसे वेंटिलेटर या आईसीयू की जरूरत है तो उसे मधेपुरा मेडिकल कॉलेज के कोविड केयर भेजा जाता है." आपको बता दें कि अररिया से मधेपूरा की दूरी करीब 90 किलोमीटर है.
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