advertisement
बिहार की सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्यों कि बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने 1 जुलाई को अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी. उन्होंने कहा कि अफसरों की तानाशाही के कारण कोई काम नहीं हो रहा है. केवल सुविधा भोगने के लिए मंत्री नहीं रह सकते. बता दें कि ये पूरा मामला ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़ा हुआ है. बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने मंत्रियों पर विभिन्न विभागों में अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर/पोस्टिंग रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था.
मंत्री मदन सहनी चाहते हैं कि उनके स्तर पर ट्रांसफर/पोस्टिंग तय हों, लेकिन उनका कहना है कि अधिकारी अपने स्तर पर ही ये काम कर रहे हैं.
समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए यहां तक कह दिया कि
सहनी ने कहा कि अगर मंत्री की भी बात सरकार में नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसी हालत में मंत्री पद पर रहकर क्या फायदा? जब उनसे पार्टी छोड़ने के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने इसे नकारते हुए कहा, "पार्टी में रहेंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करेंगे."
मदन सहनी को पूर्व मुख्यमंत्री और हम के प्रमुख जीतन राम मांझी से लेकर आरजेडी तक का साथ मिला है. मांझी ने भी कहा कि यह सही है कि राज्य में 20 से 30 प्रतिशत अधिकारी मंत्रियों और विधायकों की बात एकदम नहीं सुनते. सहनी के इस्तीफे की पेशकश के संबंध में पूछे जाने पर मांझी ने कहा, "मुझे नहीं पता कि उन्होंने इस्तीफा दिया है या नहीं. लेकिन, यह सच है कि विधायक और मंत्रियों की बात अधिकारी नहीं सुनते. 20 से 30 प्रतिशत अधिकारी तो एकदम नहीं सुनते."
आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा- 'नीतीश कुमार की डबल इंजन सरकार एक बड़े आंतरिक विवाद से गुजर रही है. एनडीए की नाव डगमगा रही है और यह कभी भी डूब जाएगी'
आरजेडी नेता तिवारी ने कहा- 'हमारे नेता तेजस्वी यादव लंबे समय से इसी ओर इशारा कर रहे हैं और गुरुवार को साहनी द्वारा इस्तीफे की पेशकश के बाद यह साबित हो गया है और बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने मंत्रियों पर विभिन्न विभागों में अधिकारियों और कर्मियों के स्थानांतरण-तैनाती के दौरान भारी रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.'
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)