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बिहार की अदालत ने किया कमाल, रेप के मामले में एक दिन में ही सुना दिया फैसला

दोषी को आजीवन कारावास की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना, सर्वाइवर को पीड़ित मुआवजा कोष से सात लाख रुपये मुआवजा

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राज्य
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<div class="paragraphs"><p>बिहार की अदालत ने किया कमाल, रेप के मामले में एक दिन में ही सुना दिया फैसला</p></div>
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बिहार की अदालत ने किया कमाल, रेप के मामले में एक दिन में ही सुना दिया फैसला

(फोटो: ट्विटर)

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देश में किसी भी पॉक्सो अदालत (POCSO court) का सबसे तेज फैसला देते हुए बिहार के अररिया पोक्सो अदालत ने एक दिन में दस गवाहों को सुनकर, तर्कों और प्रतिवादों को दर्ज करके, आरोपी को रेप का दोषी ठहराते हुए अपना फैसला सुना दिया.

हालांकि (राज्य बनाम दिलीप कुमार यादव) मामले की यह सुनवाई और फैसला 4 अक्टूबर 2021 को आया था, लेकिन यह मामला शुक्रवार, 26 नवंबर को तब प्रकाश में आया जब ऑर्डर शीट जारी हुआ.

अररिया में विशेष पॉक्सो जज शशि कांत राय ने अपने फैसले में लगभग 30 वर्ष की आयु के एक व्यक्ति को 8 वर्षीय लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया है और उसे भारतीय दंड संहिता और POCSO अधिनियम की धारा 6 (बढ़े हुए प्रवेशक यौन हमला) के सेक्शन 376 AB (बारह साल से कम उम्र की महिला पर बलात्कार की सजा) के तहत दोषी ठहराया.

जज शशिकांत राय की अदालत ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया. अदालत ने पीड़िता को पीड़ित मुआवजा कोष से सात लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला, सर्वाइवर की गवाही को माना सही

अदालत ने आरोपी की तरफ से अपराध के इनकार में मेरिट नहीं पाई, और खुद सर्वाइवर की गवाही पर बहुत भरोसा करते हुए कहा कि उसने इस घटना को स्पष्ट तरीके से समझाया और उस पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं था.

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चाइल्ड विटनेस की गवाही के बिंदु पर चर्चा करते हुए, जज ने पाया कि इसने सभी टेस्ट को पास किया है और उसके बयान की निरंतरता ने इसे विश्वसनीय बना दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में “सखारे बनाम महाराष्ट्र राज्य” वाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा की है जिसमें यह माना गया था कि यदि एक बाल गवाह को सक्षम पाया जाता है, तो ऐसे सबूत दोषसिद्धि का आधार हो सकते हैं.

इसलिए दस गवाहों की गवाही पर विचार करने के बाद, अदालत ने फैसला सुनाया कि आरोपी यौन उत्पीड़न का दोषी है.

सुनवाई के दौरान दोषी ने कोर्ट से कहा कि वह अपने गरीब परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है और उसने कहा कि वह किसी अन्य अपराध में शामिल नहीं था. उसने प्रार्थना की कि अदालत उसे सजा सुनाते समय नरम रुख अपनाए.

दूसरी तरफ लोक अभियोजक( पब्लिक प्रोसिक्यूटर) ने कोर्ट से इस बात पर विचार करने को कहा कि किस तरीके से रेप को अंजाम दिया गया और अधिकतम सजा सुनाने का आग्रह किया.

सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से वकील श्याम लाल यादव पेश हुए थे जबकि बचाव पक्ष का प्रतिनिधित्व वकील विनीत प्रकाश ने किया.

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