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छत्तीसगढ़: बिलासपुर शेल्टर होम की 3 महिलाओं ने लगाए रेप के आरोप

महिलाओं ने शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के लगाए आरोप, मामला दर्ज

मोहम्मद सरताज आलम
राज्य
Published:
महिलाओं ने शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के लगाए आरोप, मामला दर्ज
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महिलाओं ने शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के लगाए आरोप, मामला दर्ज
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने बिहार के मुजफ्फपुर शेल्टर होम कांड की यादें ताजा कर दीं हैं. यहां एक आश्रय गृह में रहने वालीं तीन महिलाओं ने आरोप लगाया है कि उनके साथ लगातार शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया गया. आरोप आश्रय गृह के ही कर्मचारियों पर लगाया गया है. इसके बाद तीनों महिलाओं को वहां से शिफ्ट कर नारी निकेतन भेज दिया गया है.

इस घटना को लेकर पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगे हैं कि जब शिकायत की गई तो पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. जिसके बाद तीनों महिलाओं ने IG बिलासपुर को एक लिखित शिकायत दी. दर्ज हुई एफआईआर को लेकर तीनों महिलाओं ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया.

सेक्स रैकेट चलाने का भी आरोप

एनजीओ शिव मंगल शिक्षण समिति बिलासपुर में एक सरकारी भवन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के छतरी योजना के तहत उज्ज्वला होम का संचालन होता है. बताया जाता है कि इस संस्थान में 18 साल से ज्यादा उम्र की उन महिलाओं को रखा जाता है, जो किसी केस में बयान के लिए, या महिला पुलिस को कहीं मिली हो या फिर परिवार में विवाद के बाद छोड़ दी जाती हैं. लेकिन यहां की कुछ महिलाओं ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आश्रय गृह के कर्मचारी यौन शोषण तो करते हैं साथ ही सेक्स रैकेट भी चलाते हैं.

एक महिला का आरोप है कि "कोई ऐसा काम करना जो संस्था के हिसाब से गलत हो, उसकी सजा के तौर पर कपड़े उतारकर कमरे में बंद कर दिया जाता था. जहां पिटाई की जाती है." महिला ने आगे आरोप लगाते हुए कहा,

“आश्रय गृह के संचालक जितेंद्र मौर्या ने दो महीने पहले जबरन रात 9 बजे गलत काम किया था. मैंने कहा था कि मैं अपने मां-बाप को बताऊंगी. इस पर मुझे धमकी दी गई, तब मैं चुप रहने लगी. खाने में नशीली दवाएं दी जाती थीं. वहां कहा जाता था कि लड़कियों की जरूरत है वहां इनको भेजना पड़ेगा. मुझे नहीं भेजा गया, लेकिन दूसरी लड़कियों को मेरे सामने रात में भेजा जाता था.”

दूसरी महिला ने बताया कि "मेरी फैमिली मिलना चाहती थी लेकिन मिलने नहीं दिया गया. जब मैं जोर से चीखी तो नीलम मैम ने मुझे एक कमरे में बिना कपड़ों के बंद कर दिया. फिर मुझे वो मेंटल बताने लगीं. वहां खाने में कुछ ऐसी चीजें मिलाई जातीं थीं कि खाने के बाद हम 9 बजे रात में सो जाते थे. उसके बाद हमारे साथ कुछ भी होता हमें कुछ नहीं पता चलता. लेकिन सुबह उठने पर बॉडी में दर्द होता था."

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आरोपियों ने किया इनकार

अब महिलाओं के इन तमाम गंभीर आरोपों को लेकर आश्रय गृह के संचालक और आरोपी जितेंद्र मौर्या ने कहा कि ये सब झूठ है. महिलाओं की बातों में सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा कि इसकी जांच किसी भी एजेंसी से करवा लें.

दूसरी आरोपी अधीक्षिका नीलम खूंटे ने भी आरोपों से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि "वो तो बोलेंगी ही कि हम दुर्व्यवहार करते हैं. उन्हें तो आजादी चाहिए."

महिलाओं की वकील ने क्या कहा

इन महिलाओं की वकील सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला ने क्विंट को बताया कि, 17 जनवरी को तीन महिलाएं शेल्टर होम से थाने आईं, जहां मेरी मुलाकात हुई. इन तीन में से एक महिला जो लंबे समय से आश्रय गृह में रह रही है, उसने बताया कि संचालक जितेंद्र मौर्या ने उसके साथ दुष्कर्म किया. दूसरी महिला कुछ हफ्तों से ही रह रही थी. जबकि तीसरी महिला एक दिन पहले ही आई थी.

उस दिन तीसरी महिला को जब लगा कि यहां कुछ गड़बड़ होने वाली है तभी उसने खिड़की से मदद मांगी. इस खबर पर महिला का पति आश्रय गृह पहुंचा, उससे भी मिलने नहीं दिया गया. वो मदद के लिए थाने पहुंचा, थाने ने मदद नहीं की. तब पूरा परिवार भी वहां पहुंचा. लेकिन आश्रय गृह के प्रबंधन ने मिलने नहीं दिया. इसी बीच परिवार तीसरी महिला को छुड़ाकर ले जाने लगा, इस पर दो और महिलाएं उनके साथ आ गईं. परिवार के लोग तीनों महिलाओं के साथ थाने पहुंचे. वहां उन्होंने लिखित आवेदन दिया. महिला पुलिस अधिकारी निमिषा पांडे ने वकील और परिवार से मिलने पर रोक लगाते हुए एक-एक महिला से पूछताछ की.

एक महिला ने बताया कि जब हम सरकंडा थाना गए तो वहां बड़ी मैडम ने हमारे लिखित आवेदन बदलने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि तु्म्हारी बात कैसे मान लूं, तुम लोग को आदत है रोज अलग-अलग लड़के बदलने की.

FIR को लेकर भी उठे सवाल

वकील प्रियंका शुक्ला ने FIR को लेकर बताया कि, जो FIR हूई उसमें 294, 323, 342 धाराएं जोड़ी गईं. जो इस मामले से आरोपियों को सजा नहीं बल्कि बचाने के लिए लगाई गई हैं. मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत बयान दर्ज होने के बाद हमने फिर से FIR के लिए प्रोसेस किया है, जिसमें बंधक बनाने से लेकर 376, 354D जैसी धाराएं लगनी चाहिए."

इस पूरे मामले को लेकर DSP निमिषा पांडे ने कहा कि, "रात में विवाद हुआ था हमने महिला के पति को सूचित किया. वो आए और वॉयलेंट हो गए और अंदर घुसने लगे. इस पर दोनों पक्षों ने भिड़ंत हो गई. सभी थाना आए, महिलाओं ने बताया कि गाली-गलौज और मारपीट की गई है, उसी के आधार पर FIR की गई. दो दिन बाद कहा गया कि मैंने किसी पर दबाव डाला है. लेकन शारीरिक शोषण वाली बात मुझे दिए गए बयान में नहीं आई. इसके बाद मैंने 164 के तहत बयान कराया है. अब बातें सामने आएंगी उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे."

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