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छत्तीसगढ़ सरकार ने पशु पालने वाले किसानों के आय में इजाफे और स्थानीय स्तर पर जैविक खाद तैयार करने के मकसद से "गोधन न्याय योजना" की शुरुआत की है. इस योजना के तहत पशुपालकों से 2 रुपये किलो की दर से सरकार गोबर खरीदेगी और फिर उससे जैविक खाद तैयार किया जाएगा. इस योजना का विस्तार सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों समेत पूरे प्रदेश में किया जाएगा. गोबर की खरीद बिक्री के लिए शहरी क्षेत्रों में पशुपालकों का रजिस्ट्रेशन होगा, साथ ही खरीद-बिक्री और संग्रहण करने के लिए केंद्र भी बनाए जाएंगे.
20 जुलाई को हरेली के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना की शुरुआत की. उन्होंने कहा-
सीएम बघेल ने इस योजना को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी बताते हुए कहा कि संकट की स्थिति में किसानों और पशुओं को पालने वाले लोगों के लिए ये वरदान साबित होगी. उन्होंने कहा कि योजना का मकसद जैविक खेती को बढ़ावा देना, ग्रामीण-शहरी स्तर पर रोजगार के नए मौके बनाना भी है. आगे आने वाले सालों में योजना का विस्तार भी जरूरत के मुताबिक किया जाएगा.
योजना के तहत खरीद किए गए गोबर का इस्तेमाल वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में किया जाएगा. इसके लिए हर गौठान में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति होगी, ये अधिकारी उस एरिया में एनजीओ चुनेंगे और उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ट्रेनिंग दी जाएगी. ऐसे ही शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत ये ट्रेनिंग दी जाएगी
वर्मी कंपोस्ट तैयार होने के बाद इसे अलग-अलग चरणों में बेचने लायक बनाया जाएगा. 2 किलो, 5 किलो और 30 किलो की पैकेजिंग में ये खाद पैक किया जाएगा और फिर सरकार इसे निर्धारित दर पर बेचेगी. फिलहाल, ये दर 8 रुपये प्रति किलो निर्धारित की गई है.
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