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बिहार में Covid-19 को ‘भयंकर’ क्यों बता रहे राहुल गांधी और विपक्ष?

कोरोना के हालात बदतर होते जा रहे हैं वहीं बिहार के अस्पतालों से जो तस्वीरें आ रही हैं वो डरा देने वाली हैं.

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बिहार में Covid-19 को ‘भयंकर’ क्यों बता रहे राहुल गांधी और विपक्ष?
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बिहार में Covid-19 को ‘भयंकर’ क्यों बता रहे राहुल गांधी और विपक्ष?
(फोटो कोलाज: Quint Hindi)

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देशभर में कोरोना के हालात बदतर होते जा रहे हैं वहीं पिछले कुछ दिनों से बिहार के अस्पतालों से जो तस्वीरें आ रही हैं वो डरा देने वाली हैं. कई न्यूज चैनल पर बिहार के अस्पतालों की दुर्दशा के विजुअल चलाए जा रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो है जो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने शेयर किया है, इस वीडियो में कोरोना संक्रमित मरीज के बगल में एक दूसरे संक्रमित शख्स का शव पड़ा हुआ है. वीडियो में एक शख्स कहते दिख रहे हैं, 'मेरी मां यहां भर्ती हैं, एक शव यहां एक दिन से पड़ा हुआ है कोई हटा नहीं रहा है, मेरी मां को दिक्कत हो रही है.'

इस वीडियो को शेयर करते हुए तेजस्वी ने लिखा है-

बिहार की 15 वर्षीय सुशासनी बदनसीबी देख माथा पकड़िए. संक्रमित कोरोना मरीज़ों के बगल में इलाज के अभाव में मरे संक्रमित व्यक्ति का दो दिन से शव पड़ा हुआ है. CM,स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों को फोन किया लेकिन दो दिन से शव नहीं हटाया गया. 4 महीने से गायब नीतीश जी ज़ुबान नहीं खोलेंगे.

बिहार में कोरोना की स्थिति की समीक्षा करने के लिए केंद्र की एक टीम आई हुई थी. इस टीम की समीक्षा से जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट को शेयर करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा है-

बिहार में कोरोना महामारी की स्थिति नाज़ुक है और राज्य सरकार के नियंत्रण से बाहर हो चुकी है. अस्पताल वार्ड में लावारिस शव का पड़े होना बिहार सरकार के ‘सुशासन’ का पर्दाफाश करता है.

बता दें कि बिहार में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात का जायजा लेने आई तीन सदस्यीय केंद्रीय टीम सोमवार को गया पहुंची और अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एएनएमसीएच) का दौरा किया. केंद्रीय टीम में शामिल सदस्यों ने कहा कि आने वाले समय में इस महामारी का प्रकोप और बढ़ सकता है, इसलिए अभी से इसके लिए तैयारी कर लेनी चाहिए. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने गया पहुंचकर कोविड-19 के प्रकोप की स्थिति के विभिन्न पहलुओं पर जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और स्वास्थ विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की.

एएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ़ पी़ कुमार ने बताया कि टीम का कहना है कि आने वाले समय में कोरोना का प्रकोप और बढ़ सकता है. जरूरत है कि अभी से मरीजों के इलाज के प्रति सचेत हो.

'बिहार को हर रोज 18 हजार टेस्ट की जरूरत'

इस टीम के अन्य सदस्यों में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ़ एस़ क़े सिंह और एम्स-नई दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर नीरज निश्चल हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में नीरज निश्चल के हवाले से लिखा गया है कि बिहार में हर रोज 18 हजार टेस्ट की जरूरत है. प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या राज्य में आई है, ऐसे में टेस्टिंग ही वक्त की जरूरत है.

लेकिन हालत ये है कि बिहार में 19 जुलाई तक सिर्फ 3 लाख 78 हजार टेस्ट हुए हैं. मतलब एक लाख लोगों में सिर्फ 300 लोगों का टेस्ट हो पा रहा है. जबकि 3 करोड़ की आबादी वाले दिल्ली में 8 लाख से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं.

बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी का कहना है कि केंद्र और राज्य की सरकारें संक्रमण रोकने के लिए युद्ध स्तर पर संघर्ष कर रही हैं. रोजाना 20 हजार सैंपल जांच का लक्ष्य पूरा करने पर काम जारी है. लेकिन कोरोना को भारत में एंट्री लिए 4 महीने का वक्त बीत गया, लेकिन एक दिन में 20 हजार टेस्ट तो दूर, पहली बार बिहार 14 जुलाई को 10 हजार टेस्ट का आंकड़ा छू पाया था.

दिल्ली में एक लाख की आबादी पर 4300 से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं. बिहार से 10 गुना से भी ज्यादा. महाराष्ट्र और बिहार की आबादी करीब-करीब एक है, लेकिन वहां भी 15 लाख से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं. मतलब साफ है कि टेस्टिंग के मामले में बिहार बेहद पीछे है.

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