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अस्पताल का मुस्लिमों के खिलाफ विज्ञापन,हिंदुओं को कहा कंजूस,FIR

अस्पताल के मालिक अमित जैन पर एक खास धर्म के खिलाफ दुर्भावना फैलाने के आरोप में कई धाराओं में FIR दर्ज हो गई है.

शादाब मोइज़ी
राज्य
Updated:
अस्पताल का मुस्लिमों के खिलाफ विज्ञापन,हिंदुओं को कहा कंजूस,FIR
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अस्पताल का मुस्लिमों के खिलाफ विज्ञापन,हिंदुओं को कहा कंजूस,FIR
(फोटो: Alterd By Quint Hindi)

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जहां एक तरफ देश कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक अस्पताल ने सिर्फ मुसलमान मरीजों के लिए गाइडलाइन जारी कर दिया. वैलेंटिस कैंसर अस्पताल ने अखबार में विज्ञापन देकर कहा है कि अस्पताल नए मुस्लिम रोगियों को स्वीकार तब ही करेगा जब मरीज और उसके अटेंडेंट कोरोना वायरस की निगेटिव जांच रिपोर्ट लेकर आएंगे.

अब इस मामले में अस्पताल के मालिक अमित जैन पर एक खास धर्म के खिलाफ दुर्भावना फैलाने के आरोप में कई धाराओं में FIR दर्ज हो गई है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मेरठ के वैलेंटिस कैंसर हॉस्पिटल ने 17 अप्रैल को दैनिक जागरण अखबार में विज्ञापन देकर तबलीगी जमात से जुड़े लोगों पर कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने का आरोप लगाया था. विज्ञापन में कहा गया था कि तबलीगी जमात के संक्रमित लोगों को देशभर के अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है, लेकिन यह लोग डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के साथ बदतमीजी करते हैं.

विज्ञापन में कहा गया,

“हमारे यहां भी कई मुस्लिम रोगी नियमों और निर्देशों (जैसे मास्क लगाना, एक रोगी के साथ एक तिमारदार, स्वच्छता का ध्यान रखना आदि) का पालन नहीं कर रहें हैं और स्टाफ से अभद्रता कर रहे हैं. अस्पताल के कर्मचारियों एवं रोगियों की सुरक्षा के लिए अस्पताल प्रबंधन चिकित्सा लाभ प्राप्त करने हेचु आने वाले मुस्लिम रोगियों से अनुरोध करता है कि स्वंय व एक तिमारदार की कोरोना वायरस संक्रमण (Covid-19) की जांच कराकर एक रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही आएं. कोरोना महामारी के जारी रहने तक ये नियम प्रभावी रहेगा.”

विज्ञापन में हिंदू-जैन को कहा गया कंजूस

विज्ञापन में मुसलमानों के अलावा हिंदू और जैन समाज पर भी टिप्पणी करते हुए आर्थिक रूप से संपन्न हिन्दू और जैन समदुय को कंजूस भी बताया गया है. विज्ञापन में ये भी कहा गया है कि हिंदू-जैन कंजूसी छोड़कर पीएम केयर्स फण्ड में डोनेशन दें.

जब सोशल मीडिया पर लोगों ने मेरठ पुलिस से इसकी शिकायत की तो पुलिस की ओर से एक बयान में कहा गया कि इस संबंध में थाना प्रभारी इन्चौली को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं.

अब इस मामले में FIR दर्ज कर लिया गया है.

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अस्पताल का अजीब स्पष्टीकरण

बता दें कि मामला तूल पकड़ने के बाद अस्पताल ने 18 अप्रैल को अखबार में स्पष्टीकरण दिया. अखबार ने कहा,

“सम्मानित जन, हमें ज्ञात हुआ है कि हिंदू/जैन धर्म से जुड़े कुछ लोगों को वैलेन्टिस अस्पताल द्वारा कल प्रकाशित सूचना व आग्रह से ठेस पहुंची है. सर्व विदित है और वास्तविकता भी है कि हिंदू/जैन समाज सदा से ही समाजिक उत्तरदायित्व व दान-पुण्य जैसे कार्य में हमेशा से ही अग्रणी रहा है. हमारा अभिप्राय भी यही था. त्रुटिवश कुछ गलत संदेश चला गया है जिसका हम खंडन करने के साथ ही ह्रदय से खेद व्यक्त करते हुए क्षमा मांगते हैं.”

साथ ही इसमें ये भी लिखा है कि अगर हिंदू/मुस्लिम/जैन/सिख/ईसाई समाज में किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो भी हम दिल से खेद व्यक्त करते हैं.

नए मुस्लिम रोगी की जांच ही क्यों बाकियों की क्यों नहीं?

हालांकि, इस स्पष्टीकरण में कहीं भी मुस्लिम समाज के लिए लिखी गई बातों का खंडन नहीं है. ना ही यइस बात पर सफाई है कि क्यों सिर्फ नए मुस्लिम मरीज और उसके साथ आने वाले को कोरोना की निगेटिव जांच रिपोर्ट के साथ आना है?

जब हमने अस्पताल के डाक्टर अमित जैन से बात की तो उन्होंने पहले कहा, “जिस तरह से कोरोना वायरस दुनिया और देश में फैल रहा है और बहुत से लोगों की जान भी जा रही है, तो हमारा मकसद था लोगों को जागरूक किया जाए, बहुत सारी भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, हेल्थ टीम पर पत्थरबाजी की जाती है, सपोर्ट नहीं किया जा रहा है, हमारे मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है कि कोई टेस्ट करने आए तो आप टेस्ट ना करें, हम लोगों ने यही कहा है कि सब लोग इनका सहयोग करें.”

लेकिन जब क्विंट ने पूछा कि अपने विज्ञापन में आप ने इन बातों का जिक्र किया ही नहीं है जबकि लिखा है कि मुस्लिम रोगी नियमों का पालन नहीं करते हैं, इसका मतलब क्या हुआ? तो डॉक्टर अमित जैन ने कहा, “हमने लिखा है कि कुछ मुस्लिम रोगी नहीं करते हैं, और ये फैक्ट है. हम कोई भेदभाव नहीं करते हैं, हमारे मुस्लिम भाईयों को बहकाया जा रहा. हमने ये लिखा नहीं है वो अलग बात है.”

क्विंट ने फिर पूछा कि आप एक समुदाय का नाम कैसे लिख सकते हैं, तो उन्होंने कहा,

पत्थरबाजी करना, जांच नहीं कराना वो उल्लंघन नहीं है? कुछ लोगों ने फैला दिया है कि हम मुस्लिम मरीज का इलाज नहीं कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. हमने कहीं नहीं लिखा है.”

क्विंट ने एक बार फिर डाक्टर अमित जैन से पूछा कि आपने ये कैसे लिखा है कि सिर्फ नए मुस्लिम रोगी कोरोना जांच करा ही आएं, और आपने बाकी धर्म या सभी नए रोगियों के लिए ये क्यों नहीं लिखा तो उन्होंने कहा, "हमने अपने पुराने मुस्लिम रोगी की जांच की बात नहीं कही है, क्योंकि उनकी स्क्रीनिंग हम पहले से करते आए हैं. हमने नए हिंदू और जैन मरीज इसलिए नहीं लिखा है क्योंकि मेरठ में 68 में से 66 रोगी जो पाए गए हैं, वो मुस्लिम हैं. इसलिए हमने नए मुस्लिम रोगी की बात की है.

बता दें कि 18 अप्रैल को स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशालय लखनऊ द्वारा 18 अप्रैल की शाम को जारी सूचना के मुताबिक, मेरठ में कोरोना के 70 रोगियों में से 46 तब्लीगी जमात से जुड़े हैं,. हालांकि अबतक ये साफ नहीं है कि डॉक्टर अमित जैन किस आधार पर ये कह रहे हैं कि 68 में से 66 कोरोना के मरीज मुस्लिम समाज से आते हैं.

डाक्टर अमित जैन तुरंत कहते हैं कि मैंने तो जैन और हिंदू के लिए भी लिखा है कि ये लोग टैक्स नहीं देते हैं.

जब क्विंट ने कहा कि किसी भी धर्म का नाम लेकर लिखना कहां तक सही है, तो अमित जैन ने कहा,

“जो फैक्ट है तो फैक्ट है. हिंदू-जैन में भी टैक्स पेयर बहुत कम हैं. हमने सबको नहीं लिखा है, हमने अधिकांश लोगों की बात की है, सबकी बात नहीं की है.”

हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि विज्ञापन में शब्दों का हेरफेर हो सकता है लेकिन मैं अपने मुसलमान भाई-बहनों को गुमराह होने से बचाना चाहता हूं.

अखबार ने ऐसे सांप्रदायिक विज्ञापन को छापने से क्यों नहीं रोका?

एक सवाल और उठता है कि क्या किसी अखबार में इस तरह का सांप्रादायिक विज्ञापन छपना चाहिए? क्या अखबार की जिम्मेदारी नहीं बनती है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने मेरठ के दैनिक जारगण अखबार में संपर्क करने की कोशिश की है. लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला है. जैसे ही जवाब मिलता है हम इस खबर को अपडेट करेंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 19 Apr 2020,05:54 PM IST

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