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दिल्ली के पेरेंट्स की मांग, क्लास ऑनलाइन तो एग्जाम भी हो ऑनलाइन

शिक्षा विभाग के एक ऑर्डर के मुताबिक 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चे पैरेंट्स की अनुमति से ही स्कूल जायेंगे

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यूपी बोर्ड एग्जाम के पहले दिन 1.8 लाख स्टूडेंट एग्जाम सेंटर नहीं पहुंचे.
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यूपी बोर्ड एग्जाम के पहले दिन 1.8 लाख स्टूडेंट एग्जाम सेंटर नहीं पहुंचे.
(सांकेतिक तस्वीर: PTI)

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शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि अगली कक्षा में प्रमोट करने से पहले ने 9 वीं और 11 वीं कक्षा की परीक्षाएं आयोजित की जाएं. परीक्षा ऑफलाइन माध्यम से आयोजित की जा सकती है. हालांकि दिल्ली सरकार के पास ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का भी प्रस्ताव है. कई अभिभावकों ने सुझाव दिया कि अगर कक्षाएं ऑनलाइन ली जाती हैं, तो परीक्षाएं भी ऑनलाइन ही होनी चाहिए. अभिभावकों के एक बड़े समूह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चों के ऑनलाइन एग्जाम करवाने की अपील की है.

दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि, “पेरेंट्स और बच्चों की लगातार अपील के आधार पर हमने दिल्ली सरकार से 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चों के ऑनलाइन एग्जाम करवाने का अनुरोध किया है. यह अपील दिल्ली के सभी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की परीक्षा के लिए की गई है.

अपराजिता गौतम ने कहा कि, "हमारे पास लगातार सैंकड़ों पैरेंट्स और बच्चों की मेल आ रही है. वह सभी इसी बात को लेकर चिंतित हैं कि स्कूल क्यों ऑफलाइन एग्जाम या फिजिकल एग्जाम पर दबाब डाल रहे हैं. जब पिछले 10-11 महीनों से पढाई ऑनलाइन करवाई गयी. जिसकी सफलता का प्रचार और प्रसार सरकार, शिक्षा मंत्री, शिक्षा विभाग स्कूलों द्वारा हर संभव मंच पर किया गया. तो जब ऑनलाइन पढ़ाई के नतीजे सफल रहे तो एग्जाम ऑफलाइन लेने की क्या जरूरत है.

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन के मुताबिक जिन स्कूलों ने पिछले 10-11 महीनों से पढ़ाई ऑनलाइन करवाई है वो एग्जाम भी ऑनलाइन ही लें. अगर स्कूल फरवरी के मात्र 15 दिनों में साल भर का कोर्स करवाने का दवा करता है तो साल भी क्यों बढ़ाया जाए. अगर सरकार स्कूलों को खोलने का ऐलान नहीं करती, तब भी तो स्कूल ऑनलाइन परीक्षा लेते और बेहतरीन रिजल्ट का दावा करते.

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने कहा कि शिक्षा विभाग के एक ऑर्डर के मुताबिक 9वीं व 11वीं क्लास के बच्चे पैरेंट्स की अनुमति से ही स्कूल जायेंगे, जबकि कुछ स्कूल अनुमति पत्र के बिना ही बच्चों को स्कूल बुला रहे हैं. कई स्कूलों द्वारा पेरेंट्स से एनओसी नहीं मांगा गया. ऐसे ही बहुत से स्कूल हैं जो नियमों की अनदेखी कर रहे हैं.

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