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गुजरात सीआईडी ने बुधवार को पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को हिरासत में ले लिया. भट्ट को 1998 में एक एक वकील को झूठे तरीके से आपराधिक मामले में फंसाने से जुड़े केस में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भट्ट को हिरासत में लिया.
इसके साथ ही सीआईडी ने इस मामले से जुड़े दो पूर्व पुलिस अधिकारियों समेत सात अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इन सभी से पूछताछ की जा रही है और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.
1998 में संजीव भट्ट गुजरात के बनासकांठा में एसपी के तौर पर तैनात थे. उस दौरान अहमदाबाद के एक सेशंस जज ने जमीनी विवाद के एक निजी मामले में संजीव भट्ट से मदद मांगी थी. दरअसल जज के एक नजदीकी रिश्तेदार का एक मकान राजस्थान के पाली में था. वकील राज पुरोहित ने उनके मकान पर कब्जा कर रखा था. इसी मामले में संजीव भट्ट ने जज की मदद की थी और मकान खाली करवाया था.
जानकारी के मुताबिक संजीव भट्ट पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए एक होटल में अफीम रखवाकर वकील को ड्रग्स के झूठे मामले में फंसाया था.
हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट ने सीआईडी को इस मामले की जांच के लिए एक टीम बनाने का आदेश दिया गया था. इसके बाद संजीव भट्ट और मामले में शामिल दूसरे पुलिस अफसरों को पुलिस हिरासत में लिया गया है.
अकसर विवादों में रहने वाले संजीव भट्ट गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी हैं. उनकी छवि मोदी और बीजेपी सरकार के बड़े आलोचक के तौर पर रही है. भट्ट ने साल 2011 में नरेंद्र मोदी पर 2002 के गुजरात दंगों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था. गुजरात सरकार ने साल 2015 में ही संजीव भट्ट को बर्खास्त कर दिया है. उसी साल उनका एक सेक्स वीडियो भी सामने आया था. भट्ट सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और अक्सर बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में तीखी टिप्पणियां कर सुर्खियों में रहते हैं.
इसी साल मई में भट्ट ने ट्वीट करते हुए जिन्ना को स्वतंत्रता सेनानी बताया था और साथ ही उनके योगदान पर गर्व करने की भी बात कही थी.
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