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बनारस में अब गंगा डराने लगी हैं. लगातार बढ़ते गंगा के जलस्तर ने लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं. पहाड़ों पर हो रही बारिश से तो गंगा का जलस्तर बढ़ ही रहा था, साथ ही शहर में हो रही बरसात ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है. गंगा का पानी बढ़ने से ज्यादातर घाट डूब गये हैं. सबसे बुरा हाल मणिकर्णिका और हरिश्चन्द्र शमशान घाट का है, जहां चिता के लिए जगह नहीं मिल रही है. वहीं दूसरी ओर, गंगा का पानी निचले रिहाइशी इलाकों में पहुंचने लगा है.
सिर्फ गंगा ही नहीं वरुणा भी अपने उफान पर है. पिछले दो दिनों के अंदर गंगा के जलस्तर में तीन मीटर से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई. जाहिर है, ये बाढ़ की भयावह स्थिति की ओर इशारा कर रही है. इस वजह से गंगा में होने वाली नियमित आरती का स्थान भी बदल दिया गया है.
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा का मौजूदा जल स्तर 69.66 मीटर है, जो कि चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से महज 0.6 मीटर दूर है. वहीं गंगा में खतरे का निशान 71.26 मीटर है, जो मौजूदा जलस्तर से 1.6 मीटर की दूरी पर है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक गंगा का जलस्तर पांच सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. हालांकि इस बढ़ाव की गति में कमी आने के भी संभावना है, लेकिन ऐसे ही स्थिति बनी रही तो यह काशीवासियों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनेगा.
गंगा का जलस्तर बढ़ने से शवदाह में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मणिकर्णिका घाट की सीढ़िया पूरी तरह जलमग्न हैं, जिसके चलते घाट के किनारे के भवनों पर शवदाह किया जा रहा है. एक बार में आठ से दस शवों का ही संस्कार हो पा रहा है. मणिकर्णिका घाट पर वाराणसी और आस पास के जिलों से शव यात्री यहां आते हैं. जगह की कमी और एक शव के अंतिम संस्कार में तकरीबन चार से पांच घंटे तक का लगने वाले समय उन्हें कतार में खड़ें होने पर मजबूर कर रहा है. शव यात्री डेड बॉडी को गलियों में रख कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं
गंगा और वरुणा का पानी तो शहर के निचले इलाकों में घुस ही रहा है, साथ ही दो दिनों से लगातार हो रही बारिश से अधिकांश शहर वॉटर लॉगिंग से परेशान है. कुछ ही घंटों की बारिश ने सीवर सिस्टम की पोल खोल दी है, जबकि बनारस में सीवर सिस्टम को ठीक करने का काम पिछले कई वर्षों से चल रहा है.
ज्यादातर सड़कों को सीवर डालने के नाम पर नगर निगम ने, तो तार और पानी की पाइप डालने के लिए दूसरे विभागों ने खोद डाला है, जो अब बरसात के मौसम में बनारस के बाशिंदों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं.
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