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उत्तर प्रदेश की गोरखपुर यूनिवर्सिटी (Gorakhpur University) में 21 जुलाई को ABVP के कार्यकर्ताओं पर पुलिस की मौजूदगी में वीसी और कुलसचिव से मारपीट का आरोप लगा है. इस मारपीट में एबीवीपी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ वीसी और कुलसचिव के साथ-साथ कुछ पुलिस वाले भी घायल हुए हैं.
सूचना के अनुसार गोरखपुर विश्वविद्यालय में पिछले दिनों छात्रों की फीस में बढ़ोत्तरी की गई थी. इसके बाद एबीवीपी ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. 13 जुलाई को विश्वविद्यालय गेट के बाहर हुए इस विरोध प्रदर्शन में भी प्रॉक्टर से मारपीट हो गई थी. जिसकी शिकायत पुलिस से की गई थी, लेकिन कोई FIR दर्ज नहीं हुई थी.
इस घटना के बाद एबीवीपी के 4 छात्रों को निलंबित और 4 बाहरी लोगों का विश्विद्यालय में प्रवेश वर्जित कर दिया गया था.
जिसके बाद निलंबन को वापस लेने की मांग के साथ साथ शुल्क वृद्धि, समय से परीक्षा परिणाम की मांग को लेकर 18 जुलाई से ही एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी के गेट के बाहर लगातार क्रमिक धरना प्रदर्शन शुरू किया था.
लगातार कई दिनों के धरने के बाद जब विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तब आज एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने सुबह 11:00 बजे के करीब कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह के कार्यालय का घेराव करना शुरू कर दिया.
ABVP कार्यकर्ताओं ने कुलपति कार्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर धरने पर बैठ गए और मांग करने लगे कि कुलपति आएं और हमारी मांगों को सुनें और निस्तारण करें.
सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक गेट बंद होने के बाद भी जब कुलपति बाहर नहीं आए तब कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी. उसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस बुलाई और कुलपति पुलिस घेरे की सुरक्षा में छात्रों के बीच से बिना छात्रों से बात किए बाहर जाने लगे.
इस बात का छात्रों ने विरोध किया और कुलपति को बाहर निकलने से पहले ही गेट पर घेर लिया.
पुलिस ने छात्रों से धक्का-मुक्की शुरू की और कुलपति को बाहर निकालने का प्रयास किया. जिसके बाद छात्र आक्रोशित हो गए और पुलिस, छात्रों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई. इसी बीच कुछ छात्रों ने कुलपति पर भी हमला बोल दिया और कुल सचिव इस चपेट में आ गए.
एसपी सिटी गोरखपुर कृष्ण बिश्नोई ने कहा कि...
इस मारपीट में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों के साथ-साथ कुलपति और कुलसचिव को भी चोटें आई हैं.
पुलिस अधिकारियों और एबीवीपी कार्यकर्ताओं का मेडिकल कराया जा रहा है. खबर लिखे जाने तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है.
कुलपति राजेश सिंह का कार्यकाल हमेशा से विवादों में रहा है. पिछले दिनों बिना किसी मुख्य अतिथि या राज्यपाल के बिना ही दीक्षांत कराए जाने की वजह से भी कुलपति राजेश सिंह चर्चा में रहे.
बताया जा रहा है कि हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त ने कुलपति राजेश सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, इसके लिए उनका निलंबन भी दो बार हो चुका है. इस मामले में हाईकोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था.
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