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स्थानीय लोगों के विरोद के बाद, गुरुग्राम प्रशासन ने निर्धारित 37 में से 8 स्थलों पर नमाज अदा करने की अनुमति वापस ले ली है. जिला प्रशासन के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, स्थानीय लोगों और आरडब्ल्यूए की आपत्ति के बाद अनुमति को रद्द कर दिया गया है.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आठ स्थल हैं: सेक्टर 49 में बंगाली बस्ती, डीएलएफ फएज 3 का वी ब्लॉक, सूरत नगर फेज 1, खेड़की माजरा गांव का बाहरी इलाका, दौलताबाद का बाहरी इलाका, सेक्टर 68 में रामगढ़ गांव के पास, डीएलएफ स्कॉयर टाउन के पास और नखरोला रोड से रामपुर गांव तक.
बयान में कहा गया है कि किसी भी सार्वजनिक और खुली जगह पर नमाज के लिए प्रशासन की सहमति जरूरी है. इसमें आगे कहा गया है कि नमाज किसी भी मस्जिद, ईदगाह या किसी निजी या दी गई स्थान पर पढ़ी जा सकती है. प्रशासन ने कहा, "अगर अन्य जगहों पर भी स्थानीय लोगों को आपत्ति है तो वहां भी नमाज अदा करने की इजाजत नहीं दी जाएगी."
कमेटी इस मुद्दे को हल करने के लिए समुदायों के साथ इस मामले पर चर्चा करेगी और सुनिश्चित करेगी कि स्थानीय लोगों को उस क्षेत्र में नमाज अदा करने में कोई समस्या न हो. कमेटी इस बात का भी ध्यान रखेगी कि नमाज किसी सड़क, क्रॉसिंग या सार्वजनिक जगह पर तो नहीं अदा की जा रही है. नमाज के लिए जगह सुनिश्चित करने से पहले स्थानीय लोगों की अनुमति ली जाएगी.
गुरुग्राम में स्थानीय लोग खुले में जुमे की नमाज का विरोध कर रेह हैं. सेक्टर 12-A में एक प्राइवेट प्रॉपर्टी पर नमाज पढ़ने को लेकर मुस्लिम समुदाय को विरोध का सामना करना पड़ा था. स्थानीय लोगों का दावा था कि इसमें बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद और दुर्गा वाहिनी के कार्यकर्ता भी शामिल थे और 'जय श्री राम' के नारे लगा रहे थे. गुरुग्राम के सेक्टर 47 में भी लोगों को इसी तरह के विरोध का सामना करना पड़ा था.
26 अक्टूबर की सुबह संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के पांच सदस्यों ने गुड़गांव के डिप्टी कमिश्नर से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा. मेमोरेंडम में सदस्यों द्वारा प्रशासन से सार्वजनिक स्थानों पर खुले में शुक्रवार की नमाज अदा करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया.
29 अक्टूबर को गुरुग्राम के सेक्टर 12-A में कुछ हिंदू संगठनों के लोगों ने जुमे की नमाज का विरोध किया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर बजघेड़ा थाने भेज दिया.
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