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झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले फेज के लिए 13 सीटों पर वोटिंग हो गई. चुनाव आयोग के मुताबिक तीन बजे तक करीब 62.87 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले. पहले फेज में जिन इलाकों में वोटिंग हुई उन्हें नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है.
ऐसे में इस बार की वोटिंग फीसदी को देखते हुए नक्सलियों के खौफ की बात अब कमजोर पड़ती दिख रही है. हालांकि नक्सलियों ने गुमला जिले में एक पुल पर धमाका जरूर किया लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ. साथ ही इस इलाके में वोटिंग भी नहीं रोकी गई.
पहले चरण के चुनाव में चतरा, गुमला, बिशुनपुर, लोहरदगा, मनिका, लातेहार, पांकी, डाल्टनगंज, विश्रामपुर, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर विधानसभा सीटों पर वोट पड़े. इन सीटों पर 189 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला अब ईवीएम मों बंद हो चुका है. जिसके नतीजे 23 दिसंबर को आएंगे.
झारखंड के सीनियर पत्रकार सयैद शहरोज कमर बताते हैं कि पहले फेज के इन इलाकों में अच्छी वोटिंग हुई है, जो अपने आप में ये बता रहा है कि नक्सलियों का खौफ कम हुआ है. ये एक सकारात्मक खबर है.
झारखंड के सीनियर पत्रकार फैसल अनुराग ने क्विंट से बात करते हुए कहा-
इस बार ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन अलग चुनाव लड़ रही है. तीन सीटों पर बीजेपी को ‘अपनों’ से ही चुनौती मिल रही है. साथ ही कांग्रेस, आरजेडी और जेएमएम का गठबंधन भी सामने हैं.
2014 के विधानसभा में इन 13 सीटों पर बीजेपी के 6 विधायक जीते थे. लेकिन इस बार हाल कुछ और है. झारखंड में फ्रीलांस जर्नलिस्ट आनंद दत्ता बताते हैं कि जिन 13 सीटों पर चुनाव हुए हैं उनमें से बीजेपी को 4 सीटें मिलती दिख रही हैं. चतरा, लातेहार, छतरपुर और भवनाथपुर. इसके अलावा लोहरदगा और भवनाथपुर में मामला 50:50 है.
पहले फेज के चुनाव में बीजेपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर दुबे, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की किस्मत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में बंद हो गई है.
बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड के चतरा में एक चुनावी सभा में कहा कि इतनी भीड़ से चुनाव कैसे जीत पाएंगे. अमित शाह ने सभा में भीड़ कम होने की वजह से पार्टी वर्कर्स पर नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने कहा था, "आप मुझे बेवकूफ मत बनाओ, मैं भी बनिया हूं. यहां से घर जाकर 25-25 लोगों को फोन करें और बीजेपी को वोट देने की अपील करें."
इस पर अनुराग कहते हैं, "चुनाव से पहले ही पार्टी अध्यक्ष के ऐसे बयान पार्टी की कमजोरी को सामने लाने के लिए काफी था."
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