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रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वतंत्रता सेनानी बाल मुकुंद बिस्सा की मूर्ति पर झंडा लगाए जाने के बाद विवाद की शुरुआत हुई. उसी तरफ ईद की नमाज को लेकर चौराहे तक लाउडस्पीकर लगाने को लेकर नाराज लोगों का हुजूम जमा हो गया. इस दौरान हिंदू संगठन के लोगों ने नारेबाजी करते हुए झंडे बैनर हटा दिए. इस दौरान इसका विरोध हुआ. वहीं, फिर दूसरा पक्ष भी सक्रिय हो गया और चौराहे पर कई गाड़ियों के कांच फोड़ दिए गए. फिर पथराव हुआ. भीड़ ने लाउडस्पीकर लगाए हुए उतार दिए.
कुछ लोगों की भीड़ ने बैरिकेड खींच-खींचकर लगा दिए, ताकि दूसरे पक्ष के लोगों का रास्ता बंद किया जा सके. यहां तक कि कुछ उपद्रवी लाठी ठंडों से लैस होकर आए और जमकर पथराव किया.
भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी दागे. खबर है कि पुलिस ने देर रात को पूरा इलाका लोगों से खाली करवा लिया. इस दौरान मीडियाकर्मियों से पुलिस का विवाद हुआ. पत्रकारों पर भी लाठियां भांजी गईं. वहीं, एक पत्रकार को चोट भी लगी है.
संभागीय आयुक्त हिमांशु गुप्ता ने अपने आदेश में कहा है कि कानून व्यवस्था को देखते हुए जिले में 3 मई को रात 1 बजे से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.
वहीं, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी सहित अन्य बीजेपी नेताओं में घटना को सरकार की तुष्टीकरण नीति का परिणाम बताया है.
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