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कानपुर एनकाउंटर: SIT रिपोर्ट के बाद DIG अनंत देव पर एक्शन, सस्पेंड

कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी भी है. गृह विभाग ने विभागीय कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं

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कानपुर एनकाउंटर:SIT की जांच की सिफारिश के बाद DIG अनंत देव सस्पेंड
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कानपुर एनकाउंटर:SIT की जांच की सिफारिश के बाद DIG अनंत देव सस्पेंड
(फोटो: अरूप मिश्रा/क्विंट)

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कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे के साथ एनकाउंटर में 8 पुलिसवालों की हत्या के वक्त एसएसपी रहे DIG अनंत देव को सस्पेंड कर दिया गया है. बिकरू कांड मामले की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम की रिपोर्ट में अनंत देव दोषी पाए गए हैं. SIT की रिपोर्ट में 80 अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है. कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी भी है. गृह विभाग ने विभागीय कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं.

जून महीने में ही उन्हें DIG रैंक में प्रमोट किया गया था. एक खत पर कार्रवाई न करने की कथित नाकामी की वजह से आलोचना से घिरे तिवारी का STF से तबादला कर दिया गया था. ये खत उन्हें बिल्हौर के DSP देवेंद्र मिश्रा ने SHO विनय तिवारी और विकास दुबे के संबंधों के बारे में आगाह करने के लिए लिखा था. 3 जुलाई को कानपुर में हुए एनकाउंटर में मिश्रा भी शहीद हुए 8 पुलिसवालों में से एक थे.

ऐसा कहा जा रहा है कि नीचे दिया गया खत देवेंद्र मिश्रा ने अनंत देव तिवारी को लिखा था, जब अनंत कानपुर के एसएसपी थे.

कौन हैं अनंत देव तिवारी?

अनंत देव तिवारी को STF से हटाने के बाद अब सस्पेंड भी कर दिया गया है. लोकल मीडिया अनंत देव को 'सिंघम' के नाम से बुलाती है. तिवारी को 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' के तौर पर जाना जाता है और उन्होंने STF के साथ काफी काम किया है.

तिवारी का जन्म 1963 में कानपुर के करीबी जिले फतेहपुर में हुआ था. तिवारी ने मैथमैटिक्स में MSc की है. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, तिवारी 1991 में उत्तर प्रदेश पुलिस सर्विस अफसर नियुक्त हुए थे.

तिवारी का पुलिस में उदय और दुबे का क्राइम की दुनिया में नाम कमाना लगभग एक समय में ही हुआ था- ये 1990 और 2000 का दशक था जब यूपी में संगठित अपराध बढ़ रहा था.

तिवारी से जुड़ी कई कहानियां हैं. कुछ सच्ची और कुछ शायद रची हुईं.

एक कहानी है कि उनकी इटावा में शुरुआती पोस्टिंग के दौरान वो समाजवादी पार्टी में रसूख रखने वाले कुछ लोगों से भिड़ गए थे. इसकी वजह से उनका ट्रांसफर हुआ और उन्हें चित्रकूट में 'सजा की पोस्टिंग' मिली.

ऐसा कहा जाता है कि इसी दौरान तिवारी ने यूपी और मध्य प्रदेश की सीमा वाले इलाकों में सक्रिय डाकू गिरोहों की जानकारी इकट्ठा की और इसी जानकारी ने आगे आने वाले समय में उनके करियर को बदल के रख देने वाले केस में मदद की.

उनकी कानपुर में बड़ी पोस्टिंग 1997 में हुई थी. इस दौरान वो एक तंबाकू कारोबारी के किडनैप हुए बेटे को बचाने और कई 'एनकाउंटर' से सुर्खियों में छा गए थे.

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