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कन्नड़ समर्थक संगठनों (Pro-kannada organizations) ने कावेरी जल विवाद (Cauvery water issue) को लेकर शुक्रवार 29 सितंबर को कर्नाटक बंद (Karnataka Bandh) का आह्वान किया था. इस बीच कर्नाटक पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कन्नड़ समर्थक संगठनों के 200 से अधिक सदस्यों को हिरासत में लिया है.
राज्यव्यापी बंद का असर बेंगलुरु में केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाले यात्रियों पर भी पड़ा है. बेंगलुरु आने और जाने वाली 44 उड़ाने रद्द कर दी गई है. इनमें 22 उड़ाने बेंगलुरु आने वाली थी और 22 यहां से प्रस्थान करने वाली थी.
बेंगलुरु ग्रामीण के ASP मल्लिकार्जुन बालादंडी ने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा, "कन्नड़ समर्थक संगठनों द्वारा बंद का आह्वान किए जाने पर हमने उचित व्यवस्था की तैयारी की है. संगठनों के 200 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है. हमारे पास पर्याप्त कर्मचारी हैं और हम सुनिश्चित करेंगे कि कुछ भी गलत न हो."
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार, 29 सितंबर को किए गए बंद के आह्वान में बेंगलुरु और राज्य के अन्य दक्षिणी हिस्सा बेहद प्रभावित हुआ. राज्यव्यापी बंद के कारण सामान्य जनजीवन बाधित हुआ है. बेंगलुरु शहर, मांड्या और मैसूरु में धारा 144 लागू की गई है. चामराजनगर, रामानगर और हसन जिलों में अधिकारियों ने स्कूलों और कॉलेजों के लिए छुट्टी घोषित की है.
राज्य के दक्षिणी भाग, मांड्या जैसे कावेरी बेसिन जिलों में अधिकांश दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और रेस्टोरेंट व होटलें बंद हैं. उन इलाकों में निजी वाहनें सड़कों से नदारद हैं. राज्य के स्वामित्व वाले परिवहन निगमों ने बंद के डर से दक्षिणी जिलों में बहुत कम बसें संचालित की हैं. ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स यूनियन और ओला उबर ड्राइवर्स एंड ओनर्स एसोसिएशन ने भी बंद को देखते हुए आज कोई भी सेवा देने से मना किया है.
राज्य के अन्य क्षेत्रों में बंद का मिलाजुला असर रहा. प्रदर्शनकारियों ने चित्रदुर्ग जिला मुख्यालय शहर में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तस्वीर में आग लगा दी.
कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री ने भी बंद का समर्थन किया है. राज्य भर के सिनेमाघरों ने शाम तक के शो रद्द कर दिए गए हैं. कर्नाटक फिल्म प्रदर्शक संघ ने बंद का समर्थन किया है.
बेंगलुरु की अधिकांश सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों और अन्य फर्मों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा है.
इससे पहले, कर्नाटक रक्षणा वेदिके (KRV) कार्यकर्ताओं के एक समूह ने गुरुवार, 28 सितंबर को इस मुद्दे पर राज्य के सांसदों और सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ बेंगलुरु में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया.
कावेरी नियामक समिति (CWRC) द्वारा तमिलनाडु को 3000 क्यूसेक पानी छोड़ने के आदेश के बाद किसान संघों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने आज कर्नाटक बंद का आह्वान किया है. इस दौरान कई प्रदर्शनकारी यह नारे लगाते दिखें कि कावेरी नदी उनकी है. वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने CWRC की सिफारिश पर निराशा व्यक्त की.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, "कावेरी जल नियामक समिति (CWRC ) ने 28 सितंबर से 15 अक्टूबर तक 3,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया है. मैंने पहले ही अपने अधिवक्ताओं से बात कर ली है. उन्होंने हमें इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का सुझाव दिया है. हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.''
कावेरी जल बंटवारा विवाद ब्रिटिश हुकूमत के वक्त से ही विवाद का मुद्दा रहा है. दोनों राज्यों के कई जिले सिंचाई के लिए कावेरी पर निर्भर हैं, जबकि बेंगलुरु शहर को भी पानी नदी से मिलता है. साल 2016 में शीर्ष अदालत द्वारा तमिलनाडु को कुछ पानी छोड़ने का आदेश देने के बाद बेंगलुरु में घातक दंगे भड़क उठे थें.
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