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कर्नाटक: ‘लिंगायत’ को अलग धर्म की मान्यता देने पर राज्य सरकार राजी

राज्य मंत्रिमंडल ने हिंदू धर्म के लिंगायत पंथ को एक अलग धर्म के रूप में मान्यता देने पर सहमति जताई है

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रविवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी
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रविवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी
(फोटो: PTI)

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कर्नाटक में जल्द ही एक सम्प्रदाय को नए धर्म का दर्जा मिलने वाला है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार को हिंदू धर्म के लिंगायत पंथ को एक अलग धर्म के रूप में मान्यता देने पर सहमति जताई.

राज्य के कानून मंत्री टी.बी. जयचंद्र ने यह जानकारी दी.

टी.बी. जयचंद्र ने सोमवार मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया से कहा:

“कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिश पर, राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का फैसला किया है.”
-टी.बी. जयचंद्र, कानून मंत्री, कर्नाटक

केंद्र में भेजा जाएगा प्रस्ताव

कानून मंत्री ने कहा, "मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अंतर्गत आयोग की सिफारिशों को मान्यता देने और उसे अधिसूचित करने के लिए केंद्र सरकार के पास भेजने का फैसला किया है."

जयचंद्र ने कहा कि आयोग ने लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा इस वजह से दिया है कि राज्य में दूसरे अल्पसंख्यकों के अधिकार को नुकसान पहुंचे बिना ही लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को समुचित पहचान दी जाए.

शिव की पूजा करने वाले लिंगायत और वीरशैव लिंगायत दक्षिण भारत में सबसे बड़ा समुदाय हैं, जिनकी आबादी यहां कुल 17 प्रतिशत है. अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव में इनके वोट नतीजों में फर्क पैदा कर सकते हैं. लिहाजा राजनीतिक नजरिए से भी राज्य सरकार के इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है.

बता दें कि आयोग के अंतर्गत कर्नाटक हाई कोर्ट के एक पूर्व जज जस्टिस एचएन नागमोहन दास की अध्यक्षता वाली एक अन्य समिति ने भी लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की सिफारिश की है.

(इनपुट: IANS)

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