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उत्तर प्रदेश में बीते चार दिन से कोरोना के संक्रमण का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है और अब प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 103 हो गई है. सबसे ज्यादा 39 की संख्या गौतमबुद्धनगर (नोएडा) की है. संक्रामक रोग विभाग के संयुक्त निदेशक ड़विकास इंदु अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में अब तक सर्वाधिक 39 संक्रमित नोएडा में पाए गए हैं. इसके अलावा मेरठ में 19, आगरा में 11, लखनऊ में नौ, बरेली में 6, गाजियाबाद में 8, पीलीभीत व वाराणसी में दो-दो और कानपुर, लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद, शामली, जौनपुर, बागपत व बुलंदशहर के एक-एक व्यक्ति शामिल हैं. अब तक कोरोना वायरस 15 जिलों में अपने पांव पसार चुका है. वहीं 183 संदिग्ध लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है.
लखनऊ में लंबे समय के बाद सोमवार को एक संक्रमित में पजिटिव केस मिला. सेना के कमांड हास्पिटल में भर्ती इस शख्स की पहली सैंपल रिपोर्ट निगेटिव आई थी, जबकि दूसरी रिपोर्ट में हुई कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है. इस तरह से अब लखनऊ में नौ पॉजिटिव मामले हैं, जिनमें से एक की तीन रिपोर्ट निगेटिव मिलने के बाद उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तब्लीगी जमात में शिरकत करने वाले लोगों को तेजी से तलाश की जाए, और वे जहां भी मिले उन्हें तत्काल क्वॉरेंटीन किया जाए. योगी आदित्यनाथ आगरा और मेरठ का दौरा रद्द कर लखनऊ पहुंचे और अधिकारियों से प्रदेश भर में तब्लीगी जमात में शिरकत करने वाले लोगों की तलाश करने के साथ ही इन सभी को क्वारंटीन करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि "पूरे प्रदेश में लॉकडाउन का पूरी तरह पालन हो, इसमें किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात से जुड़े हुए लोगों की तेजी से तलाश की जाए. जहां मिलें, उन्हें तत्काल क्वॉरेंटीन किया जाए."
योगी ने कहा कि सरकार के पास उन लोगों का पूरा आंकड़ा मौजूद है, जिन्हें उत्तर प्रदेश की सीमाओं से प्रदेश के अंदर अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया है. इन सभी लोगों को हर हाल में चिन्हित कर लिया जाए. इनको हर हाल में क्वारंटीन रखा जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाहरी राज्यों में मौजूद उत्तर प्रदेश के नागरिकों की पूरी मदद की जाए, उनके खाने और आश्रय आदि का प्रबंध कराया जाए.
दिल्ली से बिना किसी मेडिकल जांच के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने वाले तब्लीगी मरकज जमात में शमिल होने वाले लोगों की तलाश तेज हो गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एच.सी. अवस्थी ने पुलिस अधीक्षकों को मुस्तैद कर दिया है. इनकी तलाश कर अब सभी को वहीं तत्काल क्वॉरेंटीन किया जाएगा, जहां पर यह लोग मिल रहे हैं. बिजनौर, बागपत, सहारनपुर, शामली तथा मुजफ्फरनगर से काफी लोग मिले हैं.
पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, निजामुद्दीन मरकज से विदेशी नागरिक लखनऊ के अमीनाबाद के मरकज में प्रचार-प्रसार करने गए थे. सभी विदेशी कजाकिस्तान के हैं. लखनऊ में लॉकडाउन के बाद भी कैसरबाग की मरकजी मस्जिद मंगलवार को पुलिस कमिश्नर, कमिश्नर और डीएम पहुंचे थे.
यहां पर किर्गिस्तान के आधा दर्जन नागरिकों के रुके होने की सूचना थी. यहां पर सभी सभी वैध वीजा के साथ रुके थे. इनको मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है.
सूत्रों के अनुसार, सभी विदेशी नागरिकों की मेडिकल जांच कराई जा रही है. इन्हें आइसोलेशन में रखा जा रहा है. यही नहीं, मड़ियांव और काकोरी इलाके की मस्जिदों में भी कई विदेशी नागरिकों के रुके होने की खबर है. मंडियांव में 17 बांग्लादेशी नागरिकों के रुके होने की सूचना है. सूत्रों के अनुसार, संभल जिले के स्वास्थ्य विभाग को इनपुट मिला है कि दिल्ली की जिस तब्लीगी जमात में बड़ी संख्या में लोग कोरोना आशंकित मिले हैं, उनमें 20 लोग संभल के भी शामिल थे. मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ़ अमिता सिंह ने बताया, "हम सतर्क हैं और जल्दी ही उन लोगों को तलाश लिया जाएगा."
दिल्ली में तब्लीगी जमात में भाग लेने वाले कई विदेशी नागरिक उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर मस्जिदों में ठहरे हुए थे, जिन्हें मंगलवार को पकड़ा गया. लखनऊ के पुलिस आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मंगलवार को राज्य की राजधानी स्थित कैसरबाग की मरकजी मस्जिद में पहुंचे, जहां किर्गिस्तान और कजाकिस्तान के छह नागरिक पाए गए. खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई सूचना पर अधिकारी मस्जिद में पहुंचे. विदेशी नागरिक 13 मार्च से यहां रह रहे हैं. तब्लीगी जमात की बैठक 13 से 15 मार्च के बीच हुई थी. नागरिकों को चिकित्सा परीक्षण के लिए भेजा गया है और इसके बाद उन्हें अन्य लोगों से अलग कर दिया जाएगा. कुछ विदेशी नागरिकों के बारे में कहा जा रहा है कि वे मांडियन और काकोरी की मस्जिदों में रह रहे हैं.
इस बीच सूडान, केन्या, इंडोनेशिया और अन्य देशों के निवासी स्थानीय अधिकारियों को सूचित किए बिना मेरठ जिले की दो मस्जिदों में ठहरे हुए थे. उन्हें और उनके संपर्क में आए अन्य लोगों को एकांतवास में भेज दिया गया है. विदेशियों अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत चार लोगों पर मामला भी दर्ज किया गया है.
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) अविनाश पांडे ने कहा, "स्थानीय खुफिया इकाई ने इन 19 पुरुषों के ठिकाने के बारे में बताया और हम तुरंत घटना स्थल पर पहुंच गए. पहली मस्जिद मवाना तहसील में है, जहां अफ्रीकी राष्ट्रों सूडान, केन्या और जिबूती से जुड़े दस विदेशी पाए गए. उन्हें व उनके संपर्क में आए लोगों को एकांतवास में रखा गया है. दूसरी मस्जिद सरधना में है, जहां नौ इंडोनेशियाई नागरिक ठहरे हुए थे. इसी तरह की कार्रवाई वहां भी की गई है."
कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से देशभर में मजदूर तबका ज्यादा मुसीबत में फंस गया है. काम बंद हो जाने के कारण घर लौट रहे मजदूरों के समूह में शामिल सात माह की एक गर्भवती महिला करीब 1,200 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर मंगलवार को अपने गृह जनपद बांदा आई. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के भदावल गांव की रहने वाली गुड़िया (24) अपने पति और दो साल के बच्चे के साथ गुजरात के सूरत महानगर की एक निजी कंपनी में मजदूरी कर रही थी. कोरोनावायरस को लेकर अचानक 25 मार्च को लॉकडाउन घोषित हो जाने के बाद इस दंपति को कंपनी मालिक ने निकाल दिया और यह दंपति वाहनों के बंद होने पर 26 मार्च को पैदल ही वहां से घर के लिए रेलवे पटरी के सहारे चल दिया था, जो पांचवें दिन मंगलवार को बांदा आ पाया है. बांदा से सूरत की रेलमार्ग दूरी 1,256 किलोमीटर है और सड़क मार्ग की दूरी 1,066 किलोमीटर है.
गुड़िया ने बताया कि रास्ते में गांव तो कई मिले, लेकिन किसी ने मदद नहीं की. लगातार पैदल चलने से कई बार उसकी तबीयत भी खराब हुई. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "सूरत से पैदल चलकर बांदा आए दंपति की चिकित्सीय जांच की जा रही है, उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन (अलग-थलग) रखने के बाद घर जाने की इजाजत दी जाएगी."
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