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उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई है. वह रविवार को राजधानी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ समर्थकों के साथ कैंडल मार्च निकाल रहे थे. उन पर पुलिस ने गोमतीनगर थाने में एफआइआर दर्ज की है. कुरैशी के अलावा पुलिस ने अन्य कई अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने अजीज कुरैशी, जलील, महफूज, सलमान मंसूरी, वली मोहम्मद रहनुमा खान, प्रियंका मिश्रा, सुनील लोधी समेत अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 144 सीआरपीसी का उल्लंघन करने में मामला दर्ज किया है.
पुलिस के मुताबिक मना करने पर एनआरसी और सीएए के विरोध में पोस्टर और तख्तियां लेकर सभी नारेबाजी करने लगे, जिसके बाद पुलिस ने बलपूर्वक उन्हें काबू किया और फिर एफआईआर दर्ज की. बता दें कि अजीज कुरैशी यूपी, उत्तराखंड और मिजोरम के राज्यपाल रह चुके हैं.
संशोधित नागरिकता कानून (CAA) का विरोध करने के दौरान हिंसा फैलाने के आरोप में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर शिकंजा कसा जा रहा है. इस बाबत यूपी पुलिस ने पिछले चार दिनों में पीएफआई पर कड़ी कार्रवाई करते हुये उसके 108 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इससे पहले पीएफआई से ताल्लुक रखने वाले 25 और लोगों को गिरफ्तार किया गया था. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सोमवार को लखनऊ में मीडिया को बताया-
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि पिछले 4 दिनों में पीएफआई के 108 सदस्यों को हिंसा के दौरान उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है, इनमें लखनऊ में 14, बहराइच में 16, सीतापुर में 3, मेरठ में 21, गाजियाबाद में 9, मुजफ्फरनगर में 6, शामली में 7, बिजनौर में 4, वाराणसी में 20, कानपुर में 5, गोंडा, हापुड़ और जौनपुर में एक-एक पीएफआई सदस्य शामिल है.
उनसे जब पूछा गया कि क्या प्रदेश पुलिस पीएफआई को मिलने वाली आर्थिक सहायता को लेकर ईडी के संपर्क में है, इस पर उन्होंने कहा, ''हम सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और ईडी समेत तमाम एजेंसियों के संपर्क में हैं. हम इस बारे में बाद में सही समय आने पर जानकारी साझा करेंगे.’’
अवनीश अवस्थी ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश पहला ऐसा राज्य है जिसने पीएफआई के खिलाफ इतनी तेजी से और सख्ती से कदम उठाये है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद को दुष्कर्म के एक मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने जमानत पर फैसला सुनाते हुए चिन्मयानंद को रिहा करने का आदेश दिया है. इस मामले में पीड़ित छात्रा और उसके साथियों की जमानत हाईकोर्ट से पहले ही मंजूर हो चुकी है. चिन्मयानंद बीते 20 सितंबर से जेल में थे. इससे पहले रंगदारी मामले में आरोपी पीड़ित छात्रा को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 11 दिसंबर को शाहजहांपुर जेल से रिहा कर दिया गया था. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर एसएस लॉ कॉलेज की छात्रा ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. मामले में स्वामी चिन्मयानंद उत्तर प्रदेश की शाहजहांपुर जिला जेल में बंद थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी दुष्कर्म और रंगदारी मामले की जांच कर रही है. एसआईटी पीड़ित छात्रा और चिन्मयानंद दोनों के खिलाफ दर्ज मुकदमों में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है.
इससे पहले बीते महीने स्वामी चिन्मयानंद के पैरोल के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी. अर्जी में चिन्मयानंद के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा गया था कि इलाज कराने को उन्हें कुछ समय के लिए जेल से रिहा किया जाए. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री से पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोपी संजय सिंह की गुरुवार शाम जेल से रिहाई हुई थी.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक बार फिर से भ्रष्टाचार पर प्रहार किया है. उन्होंने पंचायतीराज विभाग में परफॉर्मेस ग्रांट की धनराशि आवंटित करने में धांधली को लेकर 12 जिलों के पंचायती राज अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने पूर्व निदेशक अनिल कुमार दमेले, अपर निदेशक राजेंद्र सिंह, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी केशव सिंह, अपर निदेशक (पं) एसके पटेल, उप निदेशक (पं) गिरिश चंद्र रजक समेत 12 जिलों के पंचायती राज अधिकारियों, सहायक विकास अधिकारियों, संबंधित ग्राम पंचायत अधिकारियों व सचिवों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराने के निर्देश जारी किए हैं.
विजिलेंस रिपोर्ट के मुताबिक, 31 जनपदों के 1798 ग्राम पंचायतों में से 1123 ग्राम पंचायतों को अनियमित रूप से परफॉर्मेस ग्रांट की धनराशि आवंटित की गई है. इसमें अपर निदेशक (पं) राजेंद्र सिंह, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी केशव सिंह, अपर निदेशक (पं) एस के पटेल, उप निदेशक (पं) गिरीश चंद्र रजक के खिलाफ भी जांच हो रही है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में अब बिहार और नेपाल से आने वाले मरीजों की एम्बुलेंस को यातायात पुलिस विभाग अस्पताल तक छोड़कर आएगा. उन्हें चिकित्सीय सुविधा मिलने में कोई दिक्कत न हो इसके लिए यह कदम उठाया गया है. गोरखपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) यातायात आदित्य प्रकाश वर्मा ने बताया कि बिहार और नेपाल के अलावा इससे सटे आस-पास के जिलों से आने वाले मरीजों की एम्बुलेंस को बिना जाम लगाए अस्पताल तक पहुंचाया जाएगा.
गोरखपुर में आने वाली एंबुलेंस शहर में प्रवेश करते ही अक्सर जाम में फंस जाती है. जिसकी वजह से मरीज को अस्पताल पहुंचने में अनावश्यक देरी होती है और समय से इलाज नहीं शुरू हो पाता. अब ऐसे मरीजों को यह सुविधा मिलने से राहत होगी. जारी किए गए नंबर पर फोन करते ही यातायात पुलिसकर्मी पहुंचेंगे और मरीज को लेकर आ रही एंबुलेंस को जाम से निकालकर अस्पताल तक पहुंचाएंगे.
उन्होंने बताया कि जाम से निपटने के लिए बड़ी योजना तैयार की जा रही है. फिलहाल मरीजों को बिना देरी के इलाज के लिए यह सुविधा शुरू की गई है.
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