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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में चार दिवसीय तबलीगी जमात से लौटे प्रदेश के 157 लोगों के अपनी जांच न कराने पर सख्त नाराजगी जताई. उन्होंने सूचना छिपाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री बुधवार को अपने आवास पर कोरोना वायरस कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए लागू लॉकडाउन व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली से लौटे जमातियों के बारे में जानकारी लेने के साथ ही सभी को निर्देश दिया कि अगर कोई भी इनके बारे में कोई सूचना नहीं देता है या फिर इनकी पहचान छुपाने का प्रयास करता है तो फिर उसके खिलाफ ही केस दर्ज करें.
आदित्यनाथ ने कहा कि यह पता चला है कि मरकज से लौटे लोग कई विदेशियों के साथ दूसरे राज्यों से होकर उत्तर प्रदेश में आए हैं. इनके संपर्क में आने के कारण तेलंगाना में कोरोना वायरस पॉजिटिव के मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि जमात से वापस आए लोगों की युद्ध स्तर पर जांच हो, जिन लोगों ने तथ्यों को छिपाया उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. जमात के जरिए जो लोग विदेश के हैं, उनके पासपोर्ट फिलहाल जब्त कर लिए जाएं और यह सुनिश्चित हो कि जमात के लोगों की गलतियों का खामियाजा आम लोगों को न भुगतना पड़े.
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव,गृह एवं सूचना अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि तबलीगी जमात आयोजन में शामिल अब तक 569 लोगों की पहचान कर ली गई है और उन्हें क्वॉरेंटीन कर दिया गया है. अवनीश अवस्थी ने लखनऊ में पत्रकारों से चर्चा में बताया कि नागरिकों की पहचान कर उन्हें भी क्वॉरेंटीन करा दिया गया है. इसके अलावा उनके वीजा के संबंध में जांच की जा रही है. वीजा नियमों के उल्लंघन में लिप्त विदेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश भी मुख्यमंत्री ने दिया है.
उन्होंने बताया कि ट्रक व अन्य वाहनों में माल और सामानों की जगह लोगों को भरकर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने काम किया जा रहा है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने ऐसे कामों में लिप्त वाहन चालकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने व वहनों को सीज करने का निर्देश दिया है.
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के सरधना से विधायक संगीत सोम ने कहा कि दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल हुए लोग यहां कोरोना आंतकवाद फैला रहे हैं. जानबूझ कर विदेशों से लोग भारत भेजे गए, जिससे यहां यह बीमारी फैले. संगीत सोम ने एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा, "दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल लोगों के साथ आतंकवादियों की तरह व्यवहार होना चाहिए. यह सोची समझी साजिश के तहत किया गया है. कोरोना वायरस से बचने के लिए जहां इस समय पूरा देश घर में है तो यह लोग एक साथ क्या कर रहे थे. जहां एक तरफ विश्वभर में कोरोना वायरस फैल रहा है, वहीं देश में साजिश के साथ कोरोना आतंकवाद फैलाया जा रहा है."
विधायक ने कहा, "यह कोरोना आतंकवाद देश में एक सोची-समझी साजिश के साथ फैलाया जा रहा है. ऐसे लोगों पर आतंकवादी जैसी कार्रवाई होनी चाहिए. सोम ने कहा कि अमेरिका सहित दूसरे देशों में कोरोना से लोग परेशान हैं. देश में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन का लॉकडाउन किया हुआ है. इसका पूरा देश पालन भी कर रहा है, लेकिन कुछ लोग अभी भी नहीं समझ रहे हैं."
उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले के कुर्रा थाना क्षेत्र के अन्नीपुर गांव में महानगरों से लौटे मजदूरों की सूचना प्रशासन को देना एक रोजगार सेवक को महंगा पड़ गया. इसी मसले पर हुए विवाद के दौरान बुधवार को रोजगार सेवक पर फायरिंग की गई, मगर गोली उसकी भाभी की जा लगी, और उसकी मौत हो गई.
कुर्रा थाना के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) रूपेश वर्मा ने बताया, "दो दिन पूर्व विभिन्न महानगरों से लौटे मजदूरों की सूचना रोजगार सेवक विनय यादव ने स्वास्थ्य विभाग और पुलिसकर्मियों को दी थी. जिसपर स्वाथ्य विभाग की टीम ने अन्नीपुर गांव पहुंचकर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की थी. इसी मसले को लेकर बुधवार सुबह महानगरों से लौटे मजदूरों और रोजगार सेवक के बीच विवाद होने लगा. इसी दौरान मजदूर पक्ष से रोजगार सेवक के ऊपर की गई फायरिंग की गोली उसकी भाभी संध्या (32) को लग गई, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई."
उन्होंने बताया कि इस संबंध में एक नामजद मुकदमा दर्जकर शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है.
जहां सब लोग चाहते हैं कि कोरोना और लॉकडाउन वापसी न करें, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसे हमेशा के लिए अपने घर में रखने जा रहे हैं. देवरिया जिले के खुखुंदू गांव में सोमवार को पैदा हुए एक बच्चे का नाम उसके माता-पिता ने 'लॉकडाउन' रखा है. बच्चे के पिता पवन ने कहा, "यह लॉकडाउन के दौरान पैदा हुआ था. हम कोरोना महामारी से बचाने के लिए लॉकडाउन लागू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की तारीफ करते हैं. चूंकि लॉकडाउन राष्ट्रीय हित में है इसलिए हमने बच्चे का नाम 'लॉकडाउन' रखा है."
पवन ने कहा कि वह और उसका परिवार बेबी 'लॉकडाउन' की देखरेख कर रहे हैं और यहां तक कि अपने रिश्तेदारों से भी हमने कहा है कि जब तक देश में लागू लॉकडाउन नहीं हट जाता तब तक वे बच्चे से न मिलें. पिछले हफ्ते, गोरखपुर में जनता कर्फ्यू के दिन पैदा हुई एक बच्ची का नाम उसके चाचा ने ‘कोरोना’ रखा था. चाचा नितेश त्रिपाठी ने कहा था कि उन्होंने घातक वायरस फैलने के बाद बच्चे का नाम कोरोना रखने का फैसला किया क्योंकि ‘कोरोना’ ने दुनिया को एकजुट कर दिया है और लोगों को अच्छी आदतों को अपनाने पर भी मजबूर किया है.
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