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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा है- प्रदेश का माहौल बदला है. आने वाले वक्त में हर क्षेत्र में निवेश लाएंगे. रोजगार के अवसर पैदा होंगे. योगी ने विधानसभा में सप्लीमेंट्री बजट पर कहा कि उत्तर प्रदेश सही रास्ते पर है. प्रदेश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है.
साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने सप्लीमेंट्री बजट पर सवाल खड़ा करते हुए विधानसभा में योगी के दिए भाषण को उबाऊ बताया. रामगोविंद ने विधानसभा में सप्लीमेंट्री बजट पर सवाल खड़ा किया और कहा, ‘’सप्लीमेंट्री बजट क्या होता है और यह क्यों लाया जाता है, सदन को इस पर भी चर्चा करनी चाहिए थी. मुख्यमंत्री ने बड़ा उबाऊ भाषण दिया है. इससे समय भी खराब हुआ है.’’
नेता प्रतिपक्ष ने अपने संबोधन के दौरान योगी सरकार पर यह आरोप भी लगाया कि तमाम विकास कार्य और योजनाएं पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा किए गए और वर्तमान सरकार उसे अपना बता रही है. नेता प्रतिपक्ष के बाद बीएसपी दल के नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल के नेताओं ने भी अनुपूरक बजट के औचित्य पर सवाल खड़ा किया.
सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में हुए नरसंहार मामले में एक और नया मोड़ आ गया है. अब एक विधायक का लिखा पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने जमीनी विवाद के बारे में पहले ही मुख्यमंत्री को अलर्ट कर दिया था.
बीजेपी के सहयोगी अपना दल के विधायक हरिराम चेरो ने बताया कि उन्होंने 14 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उम्भा गांव के आदिवासियों की पैतृक भूमि पर कथित रूप से भूमाफिया द्वारा कब्जा करने और उन्हें फर्जी मामले में फंसाकर परेशान करने की जानकारी दी थी. साथ ही उन्होंने 600 बीघा विवादित जमीन और फर्जी सोसायटी बनाकर भूमि हड़पने का आरोप लगाया था.
विधायक हरिराम चेरो ने मामले की जांच उच्चस्तरीय एजेंसी से कराने की मांग की थी. इसके बावजूद अधिकारियों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की वरना इतनी बड़ी घटना न हो पाती.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के 20 और मामलों को वापस लेने की अनुमति दी है. इसके साथ मुजफ्फरनगर दंगे मामले में कुल वापस लिए गए मामलों की संख्या 74 हो गई. सरकार की ओर से जिन मामलों को वापस लेने की अनुमति दी गई है, वो पुलिस और जनता की तरफ से दर्ज किए गए हैं. ये सभी मामले आगजनी, चोरी और दंगे से जुड़े हैं.
योगी सरकार बीते साल से मुजफ्फरनगर दंगे के मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया में है. लोकसभा चुनाव से पहले 8 मार्च तक सात आदेशों में 48 मामलों को वापस लेने की अनुमति दी गई. अदालत में पांच मामलों को निपटाया गया, जबकि एक मामले में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट दाखिल की है. लोकसभा चुनावों के बाद तीन आदेश जारी किए गए, इसमें दंगों के 20 मामलों को वापस लेने की अनुमति दी गई.
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