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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 17 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कोई भी विवादित बयान देने से बचने के लिए कहा है. राज्य के एक मंत्री ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री ने हमें इस मुद्दे पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा है." आदित्यनाथ ने कथित तौर पर कहा कि किसी भी मंत्री को कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, भले ही फैसला किसी के पक्ष में आए. यह निर्देश एक बड़े कार्यक्रम के अनुरूप था जिसे भारतीय जनता पार्टी ने शुरू किया है.
जब आदित्यनाथ 26 अक्टूबर को 'दीपोत्सव' के लिए अयोध्या गए थे, तो उन्होंने संतों से मुलाकात की और उनसे किसी भी विवादित टिप्पणी पर कोई बयान नहीं देने के लिए कहा.
फैसले के मद्देनजर भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करने के लिए बीजेपी इस हफ्ते अपने सदस्यों के साथ बैठकें करेगी.
उत्तर प्रदेश के एक मंत्री ने प्रदूषण की समस्या का एक अनोखा हल सुझाया है. मंत्री का मानना है कि यज्ञ से भगवान इंद्र प्रसन्न होंगे, जिससे बारिश होगी और प्रदूषण में कमी आएगी. उत्तर प्रदेश के मंत्री सुनील भराला की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और मध्य भाग सबसे खराब हवा की क्वालिटी से जूझ रहे हैं. ज्यादातर जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का स्तर या तो 'बहुत खराब' या 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया है.
भराला ने कहा कि पराली जलाना प्राकृतिक प्रक्रिया है और इससे इस हद तक प्रदूषण नहीं होता. उन्होंने कहा, "किसानों ने हमेशा से पराली जलाने का काम किया है और प्राकृतिक प्रक्रिया की बार-बार आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है." उत्तर प्रदेश के मंत्री ने सुझाव दिया कि भगवान इंद्र की प्रार्थना से प्रदूषण से निपटने में मदद मिलेगी. भराला श्रम कल्याण बोर्ड के चेयरमैन हैं और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है.
प्रदूषण के पीछे पराली जलाने को प्रमुख कारकों में से एक माना जा रहा है. पंजाब में हाल के दिनों में पराली जलाने के 22,000 से ज्यादा मामले और हरियाणा में 4,200 मामले सामने आए हैं. मंत्री ने यह भी कहा कि जब किसान गन्ना व दूसरे फसलों की खेती करते हैं तो इस तरह के अपशिष्ट पैदा होते हैं और उन्हें जलाने की आलोचना करना किसानों पर हमला है.
उत्तर प्रदेश सरकार बिजली क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने को लेकर गंभीर है और यही वजह है कि राज्य सरकार पिछले लगभग छह सालों के दौरान विभाग में हुए सभी कार्यों और परियोजनाओं का ऑडिट करा रही है. राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से 2019 के बीच बिजली विभाग के अंतर्गत हुए सभी कार्यों का ऑडिट कराने के पीछे उद्देश्य यह पता लगाना है कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की गड़बड़ी या भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ है. शर्मा ने कहा, ‘‘हम बिजली विभाग के अंतर्गत वाराणसी, आगरा, मेरठ और लखनऊ समेत अन्य जगहों पर 2014 से 2019 के बीच हुए सभी कार्यों का तीसरे पक्ष (स्वतंत्र एजेंसी से) ऑडिट करा रहे हैं.’’
सस्ती बिजली से जुड़े एक सवाल के जवाब में शर्मा ने कहा, ‘‘हम बिजली दरों को सस्ती रखने के लिये जहां एक तरफ नुकसान (एटी एंड सी) में कमी ला रहे हैं वहीं चोरी पर अंकुश लगाने के लिये कदम उठा रहे हैं. इसके अलावा हम सस्ती बिजली के लिये पीपीए (बिजली खरीद समझौता) कर रहे हैं. सिंगरौली में हमने 2.99 रुपये प्रति यूनिट पर पीपीए किया.’’
बता दें कि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में बिजली दरों में 8 से 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इसके तहत 500 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने पर घरेलू ग्राहकों को 7 रुपये यूनिट तक बिजली दर देनी पड़ रही है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को जनता से अपनी जड़ों की ओर लौटने की अपील करते हुए कहा कि मां और मातृभूमि का कोई विकल्प नहीं हो सकता. उत्तराखंड राज्य के 20 वें स्थापना दिवस समारोह के तहत प्रदेश सरकार द्वारा पहाड़ों से पलायन रोकने के लिये विकास की रूपरेखा पर चर्चा करने हेतु आयोजित 'रैबार' कार्यक्रम के दूसरे संस्करण में योगी ने कहा, ‘‘हमें अपने जड़ों से जुड़ना चाहिए क्योंकि मां और मातृभूमि का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता.'’
मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के निवासी योगी ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई टिहरी से की थी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की प्रसिद्ध टिहरी झील में एडवेंचर टूरिज्म की असीम संभावनाओं के मद्देनजर यह राज्य में रोजगार सृजन का एक बड़ा स्रोत बन सकती है. उन्होंने कहा कि राज्य में वायु और सौर उर्जा का केंद्र बनने की भी अच्छी संभावना है.
आपको यह पढ़कर शायद अजीब लगे, लेकिन उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक मजदूर चिंताहरण चौहान मौत और जादू-टोने के डर से 30 सालों से घर की दुल्हन की तरह कपड़े पहन कर रह रहा है. चौहान की कहानी हार, निराशा और बेबसी से भरी है. पिछले 30 सालों से अंबेडकर नगर के जलालपुर के हौजखास गांव निवासी चौहान मौत को धोखा देने के लिए हर दिन एक दुल्हन की तरह लाल साड़ी, बड़ी नथुनी, चूड़ियां और झुमका पहनते हैं.
उन्होंने बताया, "पिछले कई सालों में मेरे परिवार में कई लोगों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला तभी रुका, जब मैंने दुल्हन के रूप में कपड़े पहनने शुरू किए."
66 साल के चौहान के मुताबिक, उनकी पहली शादी 14 साल की उम्र में हो गई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि 21 साल की उम्र में वह पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में एक ईंट भट्टे पर काम करने गए थे और वहां मजदूरों के भोजन के लिए अनाज खरीदने का काम करने लगे. वे जहां से नियमित रूप से अनाज खरीदते थे, उस दुकान का मालिक उनका दोस्त बन गया. चार साल बाद चौहान ने उस दुकानदार की बेटी से शादी कर ली. लेकिन उनके परिवार ने इस शादी पर आपत्ति जताई तो चौहान ने अपनी पत्नी को तुरंत छोड़ दिया और घर लौट आए. इससे दुखी होकर उस लड़की ने आत्महत्या कर ली. एक साल बाद चौहान जब वहां गए तो उन्हें इसकी जानकारी हुई.
चौहान ने कहा कि उनकी बंगाली पत्नी लगातार उनके सपने में आती. उन्होंने कहा, "वह मुझपर धोखा देने का आरोप लगाती और तेज-तेज रोती. एक दिन मेरे सपने में मैंने उससे माफी मांगी और मुझे और मेरे परिवार को माफ करने के लिए विनती की. उसने मुझे कहा कि मैं दुल्हन के परिधान में उसे अपने साथ रखूं और मैं ऐसा करने के लिए राजी हो गया. उसी दिन से मैं दुल्हन बन रहा हूं और उसके बाद से परिवार में मौतों का सिलसिला रुक गया है."
चौहान ने कहा कि उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हो गया है और उनके बेटे -रमेश और दिनेश भी स्वस्थ हो गए हैं, हालांकि कुछ सालों पहले उनकी पत्नी की मौत हो गई. उन्होंने कहा, "शुरुआत में लोगों ने मेरी हंसी उड़ाई, लेकिन मैंने यह सब अपने परिवार को बचाने के लिए किया. अब लोगों के दिल में मेरे लिए सहानुभूति है."
(इनपुट: IANS और भाषा)
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