Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019MP: रायसेन में तोप की आवाज से खोला जाता है रोजा, 300 साल पुरानी है परंपरा

MP: रायसेन में तोप की आवाज से खोला जाता है रोजा, 300 साल पुरानी है परंपरा

Madhya Pradesh:तोप चलाने का एक माह का खर्च करीब 50,000 रुपए आता है.

क्विंट हिंदी
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>मध्य प्रदेश के रायसेन में तोप की आवाज से खोलते हैं रोजा,300 साल पुरानी परंपरा</p></div>
i

मध्य प्रदेश के रायसेन में तोप की आवाज से खोलते हैं रोजा,300 साल पुरानी परंपरा

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh) के रायसेन जिले में रमजान के दौरान आज भी एक अनूठी परंपरा जारी है. रायसेन में आज भी रमजान में इफ्तार और सेहरी तोप के गोले की गूंज से शुरू और खत्म होते हैं. इस परंपरा की शुरुआत भोपाल की बेगमों ने 18वीं सदी में की थी. उस वक्त आर्मी की तोप से गोला दागा जाता था. शहर काजी इसकी देखरेख करते थे.

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में करीब 300 सालों से एक अनूठी परंपरा चली आ रही है, जहां रमजान के पाक महीने की शुरुआत तोप के गोलों से होती हैं. सुंदर दुर्ग पहाड़ी पर बसे रायसेन के किले पर रखी तोप की गूंज रमजान में इफ्तार और सहरी की शुरुआत का इशारा करती है, जिसकी गूंज 15 से 20 किलोमीटर तक सुनाई देती है, जिसे सुनकर मुस्लिम समाज के लोग इफ्तार करते हैं.

रायसेन के अलाबा इस शहर में भी चलती थी तोप

रायसेन से 45 किलोमीटर दूर भोपाल में भी पहले रमजान में तोप चलाई जाती थी, लेकिन बाकी शहरों में वक्त के साथ यह परंपरा खत्म हो गई. पहले बड़ी तोप का इस्तेमाल होता था, लेकिन किले को नुकसान न पहुंचे, इसलिए अब इसे दूसरी जगह से चलाया जाता है.

आज रायसेन में रमजान के दौरान चलने वाली तोप के लिए बकायदा लाइसेंस जारी किया जाता है. कलेक्टर तोप और बारूद का लाइसेंस एक माह के लिए जारी करते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

तोप चलाने का खर्च करीब 50,000 रुपए आता है

तोप चलाने का एक महीने का खर्च करीब 50,000 रुपए आता है. इसमें से तकरीबन 5000 हजार रुपए नगर पालिका देता है. बाकी लोगों से चंदा लेकर इकट्ठा किया जाता है.

तोप को रोज एक महीने तक चलाने की जिम्मेदारी समाज के चुनिंदा लोगों की है. वे रोजा इफ्तार और सहरी खत्म होने से आधे घंटे पहले उस पहाड़ में पहुंच जाते हैं, जहां तोप रखी है और उसमें बारूद भरने का काम करते हैं. जैसे ही उन्हें नीचे मस्जिद से इशारा मिलता है कि इफ्तार का वक्त हो गया, वैसे ही वह गोला दाग देते हैं.

भूरा मिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी अध्यक्ष बताते हैं कि तोप की आवाज करीबन 15 से 20 किलोमीटर तक जाती है.

(इनपुट- अमित दुबे)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT