Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मध्य प्रदेश में किसान की दुर्दशा देखिए, 300 किलो प्याज बेचकर मिले 2 रुपए

मध्य प्रदेश में किसान की दुर्दशा देखिए, 300 किलो प्याज बेचकर मिले 2 रुपए

Onion Price: किसान ने 330 रुपए का प्याज बेचा, ढुलाई और तुलाई का चार्ज लगा 328 रुपए.

क्विंट हिंदी
राज्य
Updated:
<div class="paragraphs"><p>मध्य प्रदेश में किसान की दुर्दशा देखिए, 300 किलो प्याज बेचकर मिले 2 रुपए</p></div>
i

मध्य प्रदेश में किसान की दुर्दशा देखिए, 300 किलो प्याज बेचकर मिले 2 रुपए

(फोटो: क्विंट)

advertisement

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के प्याज उत्पादक किसान खासे परेशान हैं. प्याज की सही कीमत नहीं मिलने से किसानों का बुरा हाल है. स्थिति ऐसी है कि किसान लागत तो दूर बमुश्किल से ट्रांसपोर्ट का खर्च निकाल पा रहे हैं. शाजापुर (Shajapur) जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां एक किसान 6 बोरी यानी करीब 3 क्विंटल प्याज लेकर मंडी पहुंचा, लेकिन उसके हाथ सिर्फ दो रुपया आया.

ये सुनकर आप भी चौंक गए होंगे. 3 क्विंटल यानी 300 किलो प्याज बेचकर भी किसान को सिर्फ 2 रुपए कैसे मिले. लेकिन यही हकीकत है. चलिए अब आपको पूरा गणित समझाते हैं.

प्याज का गणित

शाजापुर जिले की मंडी में किसानों की बदहाली का जीवंत उदाहरण देखने को मिला. कृषि उपज मंडी में एक किसान छह बोरी यानी 3 क्विंटल प्याज लेकर पहुंचा. एक बोरी का दाम 60 रुपए मिला. दो अन्य बोरी का भाव 75 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से 150 रुपए मिला. बाकी तीन बोरियों का भाव 40 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से 120 रुपए मिला. इस तरह प्याज बेचने के बाद किसान का कुल 330 रुपए का बिल बना.

रसीद

(फोटो: क्विंट)

ढुलाई और तुलाई में कट गए 328 रुपए

कृषि मंडी में प्याज बेचने आए किसान को ढुलाई के 280 रुपए और तुलाई के 48 रुपए देने पड़े. इस तरह कुल 328 रुपए खर्च काटने के बाद किसान के हाथ में सिर्फ दो रुपए आए. अब सोचने की बात है कि इस तरह से किसानों का गुजर-बसर कैसे होगा?

लागत तक नहीं निकल रही

मंडियों में प्याज के दाम नहीं मिलने से किसानों की लागत तक नहीं निकल पा रही है. मुनाफा तो दूर की बात है. प्याज उपजाने में किसान को कम से कम 4-5 महीने का समय लगता है. किसानों की मेहनत को हटा भी दें तो इस पर कई तरह के खर्च आते हैं. बीज, खाद, सिंचाई के खर्च को जोड़ लिया जाए तो उस हिसाब से किसानों की आमदनी ना के बराबर है. आमदनी क्या कहिए वो घाटा उठा रहा है.

कुछ किसान किराये पर जमीन लेकर खेती करते हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो कर्ज लेकर प्याज उपजाते हैं. इस उम्मीद के साथ की उन्हें इसकी अच्छी कीमत मिलेगी. लेकिन मंडियों का जो हाल है, उससे किसानों की स्थिति और खराब होती जा रही है. यही सब कुछ ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से हमें आए दिन किसानों की आत्महत्या की खबर देखने और सुनने को मिलती है.

मंडी में कौड़ियों के भाव, बाजार में 30 रुपए किलो

यही प्याज जो मध्यप्रदेश की मंडियों में कौड़ियों के भाव बिक रहा है, खुदरा बाजार में आते-आते इसकी कीमत काफी बढ़ जाती है. आज जब प्याज मंदा है तो भी खुदरा बाजार में 30 रुपए तक बिक रहा है. लेकिन ऐसा क्यों हैं? जब मंडियों में प्याज इतना सस्ता है तो बाजारों में ये महंगा क्यों है? यह एक बड़ा सवाल है. सोचिए इसका फायदा किसको हो रहा है? मंडी सिस्टम से बिचौलियों के खेल से किसानों के साथ-साथ आम उपभोक्ता को भी नुकसान हो रहा है.

कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी?

प्याज के सही दाम नहीं मिलने से किसानों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. किसान हताश हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिलेगा तो उनकी आय दोगुनी कैसे होगी. सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था. लेकिन शाजापुर से आए इस मामले ने सरकार के दावों की पोल खोल दी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 26 Sep 2022,03:30 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT