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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों को 16 नवंबर से खोलने का आदेश दिया है. लोगों की भारी मांग के बाद ठाकरे ने दिवाली के दिन सरकार के फैसले के इस फैसले का ऐलान किया. घोषणा करते हुए सीएम ने लोगों ने लोगों से नियमों का पालन करने की अपील की.
अब इन धार्मिक स्थलों को फिर से खोला जा रहा है. लेकिन सभी जगहों पर COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य होगा - जिसमें परिसरों को नियमित रूप से सैनिटाइज करना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना आदि शामिल है.
कई दूसरे राज्यों में हालांकि पूजा स्थलों को पहले ही खोल दिया गया है, लेकिन कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में सरकार ने इसे बंद रखने का ही फैसला लिया था.
धार्मिक स्थलों को खोलने की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा,
कोरोना वायरस के कारण इस साल देश में लगभग सभी बड़े त्योहार जैसे होली, गुडी परवा, ईद, दही हांडी, गणेशोत्सव, नवरोज, नवरात्रि घर पर ही मनाए गए. महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाने वाला गणेश उत्सव के कई कार्यक्रम कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते रद्द कर दिए गए.
बीजेपी लंबे समय से राज्य में धार्मिक स्थलों को खोलने की मांग कर रही थी. इस मुद्दे पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और उद्धव ठाकरे में तकरार भी हुई थी.
महाराष्ट्र सरकार के धार्मिक स्थलों को बंद रखने के फैसले के बाद, 12 अक्टूबर को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सीएम को लेटर लिखकर COVID-19 से बचाव के उपायों के साथ पूजा-स्थलों को फिर से खोलने की मांग की थी.
इस पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा था कि जैसे लॉकडाउन अचानक से लागू करना सही नहीं था, वैसे ही इसे पूरी तरह हटाना ठीक नहीं होगा. महाराष्ट्र में बीजेपी समर्थकों ने मंदिर खोले जाने को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन भी किया था.
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