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मणिपुर में हिंसा (Manipur Violence) और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले वीडियो और फोटो के प्रसार पर रोक लगाने के लिए मणिपुर सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है. इस आदेश में कहा गया है कि इस तरह के प्रसार से गंभीरता से निपटा जाएगा और कानून के मुताबिक केस दर्ज किया जाएगा.
यह आदेश बुधवार, 11 अक्टूबर की रात को जारी किया गया था. यह आदेश तब आया है जब मणिपुर में हिंसा के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे हैं. ऐसे ही एक वीडियो में दिखाया गया है कि दो युवकों को कुछ लोगों के ग्रुप द्वारा बिल्कुल नजदीक से गोली मार दी जाती है और फिर उन्हें एक गड्ढे में दफना दिया जाता है. हालांकि, घटनास्थल और दफनाने वाली जगह के बारे में पता नहीं चल पाया है.
इसमें कहा गया, “राज्य सरकार ने मामले की गहन जांच के बाद राज्य में सामान्य स्थिति लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में ऐसे वीडियो और फोटो के प्रसार पर रोक लगाने का फैसला किया है.”
आदेश में कहा गया है कि जिस किसी के पास ऐसे वीडियो या फोटो हैं, वे अधिकार क्षेत्र की परवाह किए बिना निकटतम पुलिस अधीक्षक से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें उचित कार्रवाई के लिए जमा कर सकते हैं.
सितंबर में सोशल मीडिया पर दो लापता युवकों के शवों की तस्वीरें सामने आने के बाद इंफाल घाटी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों और पुलिस की कार्रवाई में 100 से अधिक छात्र, ज्यादातर लड़कियां घायल हो गईं.
विरोध प्रदर्शन ने केंद्र को सीबीआई अधिकारियों की एक टीम भेजने के लिए प्रेरित किया और चार आरोपियों को बाद में सीबीआई टीम ने गिरफ्तार कर लिया. आगे की जांच और कानूनी प्रक्रियाओं के लिए उन्हें गुवाहाटी ले जाया गया.
पूर्वोत्तर राज्य में इस साल 3 मई से मैतेई और कुकी जनजाति के बीच जातीय हिंसा जारी है. मैतेई लोगों द्वारा जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के बाद हिंसा भड़क उठी थी.
(इनपुट- पीटीआई)
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