Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मेरठ: छात्रा का आरोप, तिलक लगाया तो स्कूल से निकाला, प्रिंसिपल ने किया खंडन

मेरठ: छात्रा का आरोप, तिलक लगाया तो स्कूल से निकाला, प्रिंसिपल ने किया खंडन

Meerut Tilak Row: छात्रा ने बताया कि स्कूल प्रशासन द्वारा माथे पर तिलक लगाने पर बार-बार टोका जाता था.

पीयूष राय
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>मेरठ: छात्रा का आरोप, तिलक लगाया तो स्कूल से निकाला, प्रिंसिपल ने किया खंडन</p></div>
i

मेरठ: छात्रा का आरोप, तिलक लगाया तो स्कूल से निकाला, प्रिंसिपल ने किया खंडन

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मेरठ (Meerut) जिले में कक्षा 11वीं की छात्रा के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी को माथे पर तिलक और हाथ में रुद्राक्ष धारण करने पर स्कूल प्रशासन ने आपत्ति जताते हुए निष्कासित कर दिया है. स्कूल की प्रिंसिपल भावना चौहान ने इस आरोप का खंडन करते हुए बोला कि छात्रा की स्कूल की गतिविधियों को लेकर परिजनों को बातचीत करने के लिए बुलाया गया था. स्कूल से नहीं निकाला गया है.

प्रिंसिपल चौहान ने क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान कहा, "बच्चे को न ही स्कूल से निकाला गया है और न उसे तिलक या टीके के लिए रोका गया है. जो प्रिंसिपल अपने माथे पर खुद टीका लगाकर बैठी है वह बच्चे को टीका लगाने से कैसे मना कर सकती है. पूरे साल में हर महीने हवन होता है सुबह गायत्री मंत्र का जाप होता है. स्कूल में 90% हिंदू परिवारों के बच्चे हैं वहां पर टीका लगाने से कैसे मना किया जा सकता है?"

हालांकि अब यह मामला तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है. पूरा विवाद स्थानीय पुलिस के संज्ञान में भी है लेकिन आला अधिकारियों की माने तो अभी तक इस मामले में किसी भी पक्ष की तरफ से कोई शिकायत या तहरीर प्राप्त नहीं हुई है.

छात्रा का आरोप है कि तिलक लगाने पर उसे स्कूल से निकाल दिया गया

(फोटो: क्विंट हिंदी)

क्या है पूरा मामला

पीड़ित छात्रा ने स्थानीय मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि स्कूल प्रशासन द्वारा उसे माथे पर तिलक लगाने पर बार-बार टोका जाता था. स्कूल से निकालने की धमकी भी दी जाती थी. इस मामले ने तूल 20 जुलाई को पकड़ा, जब दोनों पक्ष स्कूल में आमने-सामने आए. छात्रा की मां ने आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में दबाव बनाकर एक कागज पर हस्ताक्षर लिए गए.

"मुझे और मेरी बेटी को अलग स्टाफ रूम में रखा गया , जहां कम से कम 20 पुलिस वाले थे. वहां पर मेरे सामने पर्चा रखा गया और मुझे कहा गया इस पर साइन करो. उस पर लिखा था मैं अपनी स्वेक्षा से अपनी लड़की को स्कूल से निकलवा रही हूं और स्कूल से निकालने के बाद स्कूल पर अगर कोई आपत्ति आती है तो प्रिंसिपल हम मां- बेटी पर कार्यवाई कर सकती है."

मेरठ के सुभाष इंटर कॉलेज का मामला

(फोटो: क्विंट हिंदी)

स्कूल प्रशासन का आरोप है कि छात्रा और उसके परिजनों को जब स्कूल बुलाया गया तो छात्रा परिजनों के बजाय कुछ और लोगों के साथ स्कूल पहुंची और वहां छात्रा के साथ आए लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. प्रिंसिपल चौहान ने क्विंट हिंदी से कहा,

"उनके साथ जो लोग आए थे उन सब के मोबाइल रिकॉर्डिंग चालू थे. वह एक-एक बच्चे से रोक कर पूछ रहे थे कि आप चाहते हो क्या मुसलमानों के साथ पढ़े? क्या आपके स्कूल में मुसलमान हैं? क्या आप मुसलमान बनना चाहते हो? इसके बारे में मेरे चपरासी ने आकर मुझे बताया तो मैंने उन लोगों को बोला कि स्कूल में आप इस तरीके से कैसे बात कर सकते हैं."

पुलिस के संज्ञान में मामला

यह पूरा मामला स्थानीय पुलिस के संज्ञान में है. मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) रोहित सिंह साजवान ने क्विंट हिंदी को बताया कि इस मामले में पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

"छात्रा माथे पर तिलक और हाथ में रुद्राक्ष लगाकर स्कूल जाती थी. प्रिंसिपल ने छात्रा से बोला कि अपने माता-पिता को बुला लो बात करनी है. अगले दिन छात्रा अपने साथ दो-तीन साधु और 1-2 पत्रकारों को अपने साथ लेकर स्कूल पहुंची. वहां पर कुछ विवाद हुआ, जिसके बाद प्रिंसिपल ने पुलिस को फोन किया. बाद में छात्रा के माता-पिता भी आ गए. किसी भी पक्ष की तरफ से पुलिस को कोई शिकायत नहीं प्राप्त हुई है."
रोहित सिंह साजवान, SSP
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

छात्रा के व्यवहार से स्कूल को थी आपत्ति

स्कूल प्रशासन की माने तो छात्रा ने इसी साल अप्रैल महीने में 11वीं में दाखिला लिया था. छात्रा के आचरण को लेकर कथित तौर पर स्कूल प्रिंसिपल को शिकायत प्राप्त हो रही थी.

"थोड़ा मुस्लिम बच्चों से कट कर रहना और कुछ भी बोल देना. इस तरह की हरकत मेरे नजर में आई थी. काफी बार मेरे पास शिकायत भी आई, लेकिन यह सोच कर कि बच्चा है उसे एक दो बार समझा कर छोड़ दिया गया. इस तरह का व्यवहार अच्छा नहीं होता है. यह स्कूल है, यहां सभी धर्मों को बराबर नजर से देखना चाहिए. बच्चो को हम यही शिक्षा भी देते हैं."
भावना चौहान, प्रिंसिपल

छात्रा की मां ने स्थानीय मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने स्कूल प्रशासन के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा," मैंने अपनी बेटी को अपने साथ बिठाकर द केरल स्टोरी, कश्मीर फाइल्स मूवी दिखाई है. अगर मैं अपनी लड़की को इस उम्र में सावधान नहीं करूंगी लव जिहाद के प्रति तो किस उम्र में करूंगी. मैंने अपनी लड़की को सावधान किया. मेरी लड़की ने अपने दोस्त को सावधान किया. यह तो अच्छी बात है, बेटियां तो आपकी भी हैं."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT