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एमपी (Madhya Pradesh) के इंदौर में 'फर्जी' वेबसीरीज जैसी कहानी सामने आई है. सरकारी रिकॉर्ड में मर चुके एक व्यक्ति को पुलिस ने नकली नोट छापने के आरोप में गिरफ्तार किया है. उसके चार अन्य साथियों को भी पुलिस ने दबोचा है. हैरान करने वाली बात है कि ट्रांसफार्मर सुधारने वाला एक बीकॉम पास व्यक्ति का फर्जी नोट छापने का आइडिया था, जिसने यूट्यूब और सोशल मीडिया से नकली नोट छापना सीखा.
आरोपी ने सबसे पहले फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर खुद को मरा साबित किया, उसके बाद साथियों के साथ मिलकर एक फ्लैट में नकली नोट छापने लगा. अब, पुलिस ने इंदौर के एक फ्लैट से पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
मुख्य आरोपी राजेश बरबेते सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मर चुका है. उसके फ्लैट से पुलिस को उसका डेथ सर्टिफिकेट, नए फर्जी नाम (अशोक चौहान) का आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, कई बैंकों में खोले गए अकाउंट की पासबुक, लाखों रुपए के भारतीय नकली नोट और नोट छापने की मशीनें और उससे संबंधित संसाधन बरामद किए हैं.
एडिशनल डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा ने बताया...
वहीं, एडिशनल एसपी ने बताया कि फ्लैट से पुलिस को 1 लाख 60 हजार रुपए के नकली नोट, चार प्रिंटर मशीन, नोट छापने में प्रयुक्त कागज (जिससे 50 लाख रुपए तक के नोट छापे जा सकते थे) और नकली नोट को पकड़ने में सहायक मशीन को बरामद किया गया है.
पुलिस पूछताछ के दौरान मुख्य आरोपी ने बताया कि वह पिछले एक से डेढ़ साल से नकली नोट छापने का काम कर रहा था और अभी तक मार्केट में अपने साथियों के माध्यम से 20 से 30 लाख रुपए के नकली नोट चला चुका है. पकड़े जाने से बचने के लिए आरोपी ने अपना स्वयं का डेथ सर्टिफिकेट बनवाया था. उसने नए नाम से कई बैंकों में अकाउंट खोले हैं, जिनके माध्यम से वह ट्रांजैक्शन करता था.
फिलहाल, पुलिस ने मुख्य आरोपी राजेश बरबेते स्थाई निवासी बैतूल और अस्थाई निवासी इंदौर सिलिकॉन सिटी, गणेश निवासी सुदामा नगर, विकर्म निवासी शिव सिटी, प्रवीण निवासी सिलिकॉन सिटी सहित एक अन्य को गिरफ्तार किया गया है. वहीं एक अन्य आरोपी फरार है. जिसकी तलाश पुलिस कर रही है. आरोपियों से पूछताछ में बड़े खुलासे होने की संभावना है.
इनपुट: अब्दुल वसीम अंसारी
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