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ट्वीमध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पन्ना जिले के गुनौर जनपद उपाध्यक्ष चुनाव का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कलेक्टर पर तल्ख टिप्पणी की है. ओपन कोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा को पॉलिटिकल एजेंट की तरह काम करने की टिप्पणी की. इसके साथ ही कलेक्टर की कार्यशैली पर कड़ा एतराज जताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कलेक्टर इस पद पर कार्य करने योग्य नहीं है. जस्टिस विवेक अग्रवाल ने अगली सुनवाई में कलेक्टर को मौजूद रहने का आदेश दिया है. 17 अगस्त को अगली सुनवाई होगी.
पन्ना जिले की गुनौर जनपद में 27 जुलाई को उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए थे. उसमें कांग्रेस समर्थित परमानंद शर्मा को 25 में से 13 वोट मिले थे और वह 1 वोट से जीत गए थे. जिला निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें विजयी प्रत्याशी होने का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया. इसके बाद बीजेपी समर्थित प्रत्याशी रामशिरोमणि ने एक वोट खारिज करने की मांग करते हुए कलेक्टर को याचिका दी. कलेक्टर ने आनन-फानन में याचिका स्वीकार करते हुए एक वोट और चुनाव प्रमाण पत्र रद्द कर दिया.
एक वोट निरस्त होने के कारण दोनों प्रत्याशियों के 12-12 वोट हो गए. मुकाबला टाई हो गया. इसके बाद अगले दिन लॉटरी के माध्यम से उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ. जिसमें बीजेपी समर्थित प्रत्याशी को विजयी घोषित कर प्रमाण पत्र सौंपा गया. 24 घंटे के अंदर हुए इस नाटकीय घटनाक्रम में चुनाव परिणाम बदल गया. जिसके बाद कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी हाई कोर्ट पहुंच गए.
हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पन्ना कलेक्टर को वीडी शर्मा का गुलाम तक कहा है. दिग्विजय ने ट्वीट किया, "यदि मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में हुए स्थानीय चुनावों की समीक्षा करें तो अनेक जिलों में जनपद पंचायत और जिला पंचायत चुनावों में जिला कलेक्टरों ने सत्तारूढ़ दल के एजेंट के रूप में काम किया है."
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने ट्वीट किया, "कांग्रेस पार्टी लगातार यही बात कर रही थी कि कलेक्टर बीजेपी सरकार की कठपुतली बनकर कार्य कर रहे हैं."
वही एमपी कांग्रेस ने ट्वीट किया कि, "बीजेपी का बिल्ला जेब में रखकर निर्वाचन प्रणाली को दूषित करने वाले पन्ना ज़िले के कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा के कृत्यों पर उच्च न्यायालय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. शिवराज जी,आपने अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रशासनिक सेवा संवर्ग को भी शिकार बना लिया."
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